हिंसा व अश्लीलता वाली फिल्में नहीं कर सकती बिहार का प्रतिनिधित्व : विनय कुमार
पटना: सिनेमा हमारी सौम्य शक्ति है और यही कारण है कि सिनेमा के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार विश्व भर में हुआ है। इसी प्रकार अगर हम सिनेमा माध्यम का सार्थक उपयोग करें तो बिहार के जनजीवन और संस्कृति को भी भारत और भारत के बाहर प्रचारित किया जा सकता है। नई दिल्ली स्थित भारतीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में हर साल बड़ी संख्या में बिहार के विद्यार्थी पढ़ने जाते हैं और इसलिए यह आवश्यक है कि इसकी एक शाखा बिहार में भी खुले। उक्त बातें अशोक सिनेमा के निदेशक तथा सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने कहीं। शनिवार को वे पटना पुस्तक मेले में सिनेमा-उनेमा महोत्सव में सम्मानित किए के जाने बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम के प्रथम दर्शक बापू टावर की निदेशक आईएएस अधिकारी विनय कुमार ने कहा कि हिंसा और अश्लीलता से भरी फिल्में बिहार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकतीं। उन्होंने कांतारा फिल्म का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर हम बिहार की लोक संस्कृति से जुड़ी कहानियां फिल्मों के लिए लेंगे , तो विश्व भर में इसकी न केवल प्रशंसा होगी, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी धमाल मचाएगी। उन्होंने बिहार फिल्म नीति का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार की कई एजेंसियां हैं जो वृतचित्र और लघु फिल्म के लिए यहां के नवोदित फिल्मकारों की मदद करती हैं।
इससे पूर्व पटना पुस्तक मेले के संयोजक अमित झा ने विनय कुमार का स्वागत प्रतीक चिन्ह और स्टॉल देकर किया। आनंद प्रकाश नारायण सिंह को सम्मान पत्र, स्टॉल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सिनेमा उनेमा महोत्सव के संयोजक कुमार रविकांत ने दोनों अतिथियों का परिचय कराया।
इस अवसर पर फिल्मकार प्रशांत रंजन, रंगकर्मी आर. नरेंद्र, उमेश शर्मा,सत्यजीत केसरी,प्रभात, रत्नेश समेत बड़ी संख्या में फिल्म प्रेमी उपस्थित थे।