हाल में राजद नेता तेजस्वी ने पूर्णिया सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान मंच से यह कहा कि यदि आप आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती को वोट नहीं दे रहे तो एनडीए को दो। यानी हर हाल में पप्पू यादव को वोट मत दो। तेजस्वी के इस बयान ने बिहार में नया बवंडर खड़ा कर दिया और राजनीतिक विश्लेषक इसके कई मायने लगाने लगे। क्या बीमा भारती पूर्णिया में हार रही हैं? क्या पप्पू यादव तेजस्वी पर भारी पड़ रहे? आदि।
क्या कहा था तेजस्वी ने
बीते दिन कटिहार के कोढ़ा प्रखंड के सिमरिया में आयोजित जनसभा में तेजस्वी यादव ने चुनावी मंच से कहा कि किसी के धोखे में नहीं आना है। यह किसी एक व्यक्ति का चुनाव नहीं, बल्कि या तो एनडीए या फिर इंडिया की लड़ाई है। अगर आप लोग राजद कैंडिडेट बीमा भारती को नहीं चुनते हैं, तो आप एनडीए को चुनो।
पूर्णिया में रोचक हुई लड़ाई
दरअसल, पूर्णिया लोकसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी रोचक मोड़ ले चुका है। कुछ सर्वेक्षणों के नतीजे संकेत दे रहे कि यहां का परिणाम हैरान करने वाला हो सकता है। इसकी मुख्य वजह बन रहे हैं पप्पू यादव। पप्पू दो बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में और एक बार सपा के टिकट पर यहां से जीत चुके हैं। दूसरी तरफ राजद ने यहां जदयू से हाल में आरजेडी में आई बीमा भारती को टिकट दे दिया। राजद ने एड़ी—चोटी का जोर लगाकर पप्पू यादव को बतौर कांग्रेस कैंडिडेट इंडिया अलायंस का टिकट पाने में रोड़े अटकाये। वहीं एनडीए ने जदयू कैंडिडेट संतोष कुशवाहा को मैदान में उतारा।
क्यों टेंशन में है आरजेडी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव ने ‘तो फिर एनडीए को वोट दो’…ऐसा बोलकर एक तरह से स्वीकार कर लिया कि पूर्णिया में आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती चुनाव हार रही हैं। अपने भाषण में तेजस्वी ने साफ कहा कि एकजुट बने रहिए। किसी के धोखे में नहीं आना है। यह किसी एक व्यक्ति का चुनाव नहीं है। यहां दो धारा है। या तो एनडीए या तो इंडिया या तो इंडिया को चुनो यानी बीमा भारती को चुनो या फिर एनडीए को जिता दो। साफ है कि उनकी दिलचस्पी बीमा भारती की जीत से ज्यादा पप्पू यादव की हार पर केंद्रित हो गई है।
जनता की नब्ज पर पकड़
अगर पूर्णिया में पप्पू यादव के बढ़ते ग्राफ या फिर नुक्कड़ों पर हो रही चुनावी चर्चाओं पर ध्यान दें तो लोग खुलकर कह रहे हैं कि पप्पू यादव पिछले एक साल से ‘‘प्रणाम पूर्णिया’’ अभियान को बड़े जोर-शोर से आगे बढ़ा रहे हैं। इस अभियान ने उन्हें उस क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने में मदद की है। वे मोटरसाइकिल पर डोर—टू—डोर कैंपेन को ज्यादा महत्व दे रहे हैं और समर्थन हासिल करने के लिए और आम लोगों के साथ भोजन करने तथा लालू—तेजस्वी के कारण इंडिया गठबंधन से टिकट नहीं मिलने के कारण हुए ‘अपमान’ को याद कर रोने भी लगते हैं।
इसलिए पप्पू से डर रही आरजेडी
बिहार में लालू यादव के बाद पप्पू यादव कभी आरजेडी के मूल कैडर एमवाई के असल हकदार माने जाते थे। ऐसा इसलिए कि पप्पू यादव ने लालू यादव के सानिध्य में ही मुस्लिम+यादव समीकरण वाले राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। लालू यादव भी पप्पू यादव की क्षमताओं से भलीभांति परिचित हैं। ऐसे में उन्हें अपने उम्र के इस पड़ाव पर अपने पुत्र तेजस्वी के लिए पप्पू बड़ा खतरा जान पड़ रहे। पप्पू लालू यादव के न रहने पर एमवाई समीकरण के मजबूत दावेदार के रूप में उभर सकते हैं। ऐसे में तेजस्वी के लिए बिहार में एमवाई की राजनीति काफी मुश्किल हो सकती है।