छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए ED ने इन दोनों के 15 ठिकानों पर आज छापा मारा है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले, कोल लेवी और महादेव सट्टा ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है। ED की टीम आज सोमवार सुबह इनके भिलाई स्थित घर समेत कुल 15 ठिकानों पर पहुंची। ED का कहना है कि उसके पास दोनों बाप—बेटों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम सामने आया जिसके बाद यह कार्रवाई की जा रही है। इसबीच छापेमारी के बाद भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब कोर्ट में बर्खास्त कर दिया गया तो ED के मेहमानों ने पूर्व सीएम के घर पर दबिश दी है।
इस मामले में ईडी पहले भी कई बड़े एक्शन ले चुकी है। इससे पहले जांच एजेंसी ने मई 2024 में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर समेत कई आरोपियों की लगभग 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था, जिसकी कीमत 205.49 करोड़ रुपये थी। सोमवार सुबह ED की टीम चार गाड़ियों में भूपेश बघेल के भिलाई-3 पदुमनगर स्थित घर पहुंची। टीम ने घर के अंदर दस्तावेजों की जांच की। इस दौरान घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। कांग्रेस कार्यकर्ता भी वहां जमा हो गए और कार्रवाई का विरोध करने लगे। ED ने भिलाई के नेहरूनगर में मनोज राजपूत, चरोदा में अभिषेक ठाकुर और संदीप सिंह, दुर्ग में कमल अग्रवाल की किशोर राइस मिल, सुनील अग्रवाल की सहेली ज्वेलर्स और बिल्डर अजय चौहान के ठिकानों पर भी छापेमारी की।
उधर प्रवर्तन निशालय का आरोप है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का शराब घोटाला हुआ। इसमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर शामिल थे। ED के मुताबिक, घोटाला तीन तरीकों से किया गया— एक तो डिस्टिलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 से 100 रुपये कमीशन लिया जाता था। शराब की कीमतें बढ़ाकर और ओवर बिलिंग की छूट देकर डिस्टिलरी संचालकों को नुकसान से बचाया जाता था।
नकली होलोग्राम वाली शराब सरकारी दुकानों से बेची जाती थी। दूसरे डिस्टिलरीज के सप्लाई एरिया को कम-ज्यादा करके अवैध वसूली की जाती थी। 8 जोन में बाँटकर हर साल कमीशन के आधार पर सप्लाई जोन तय किया जाता था। इससे सिंडिकेट ने 52 करोड़ रुपये कमाए। और तीसरे महादेव सट्टा ऐप के जरिए 6000 करोड़ रुपए की कमाई हुई। इसमें छत्तीसगढ़ के उच्च पदस्थ नेता और अधिकारी शामिल हैं। ऐप के दो मुख्य प्रमोटर भी छत्तीसगढ़ से हैं। ED की चार्जशीट के मुताबिक, भूपेश बघेल को ऐप प्रमोटर्स ने 508 करोड़ रुपये दिए थे।