न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने आज बुधवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद संभाल लिया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण कराई। सीजेआई बीआर गवई ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और अन्य गणमान्य लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली, जो बीते दिन ही सेवानिवृत्त हुए थे। नए चीफ जस्टिस बीआर गवई बिहार के पूर्व राज्यपाल आरएस गवई के पुत्र हैं। बीते माह कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना ने केंद्र सरकार से उनके नाम की सिफारिश की थी।
जस्टिस गवई का शानदार करियर
जस्टिस गवई वरिष्ठता के क्रम में सबसे आगे थे, जिसके चलते उनके नाम की सिफारिश की गई। 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सेवा दी। 17 जनवरी, 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 24 मई, 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति गवई ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था।
पिता रहे हैं बिहार और केरल में राज्यपाल
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। जस्टिस गवई के पिता दिवंगत आरएस गवई बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल रहे हैं। आज उनके शपथ की खास बात यह रही कि देश के इस अहम पद पर बैठने से पहले उन्होंने अपनी मां का आशीर्वाद लिया। CJI पद की शपथ लेते ही सबसे पहले उन्होंने अपनी मां कमलताई गवई के पैर छुए। जस्टिस गवई देश के दूसरे अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले और बौद्ध मत मानने वाले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वे भारत के पहले बौद्ध सीजेआई हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उनका कार्यकाल छह महीने का होगा।