भगवान बिरसा मुंडा जयंती तथा जनजातिय गौरव दिवस के शुभ अवसर पर पर्यावरण भारती द्वारा फलदार वृक्ष आम के 9 पौधे, जामून के 1 पौधा एवं औषधीय वृक्ष मीठा नीम (कड़ी पत्ता) के 4 पौधे लगाए गए। पौधारोपण का नेतृत्व पर्यावरण प्रहरी दिनेश मल्लिक ने किया। इस मौके पर पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक और अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण जलवायु परिवर्तन हुआ है। परिणामस्वरूप समुद्री चक्रवात लगातार संसार के मानव को प्रभावित कर रहा है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने आह्वान किया किप्राकृतिक आपदाओं से मानव जीवन को बचाने के लिए हम अपने घरों के आसपास कम से कम 10 पेड़ अवश्य लगायें। पर्यावरणविद का अनुमान है कि अधिक हिमपात से बिहार में कड़ाके की ठंड होगी। अतः पर्यावरण संतुलन हेतु अपने बच्चों के जन्म दिवस, वर्षगांठ, पुण्य स्मरण तथा उत्सव के अवसर पर पौधारोपण अवश्य करें। विश्व के मानव पर्यावरण संरक्षण हेतु छोटे छोटे प्रयोग करें। दूसरा कोई विकल्प विज्ञान के पास अभी तक नहीं है।
पर्यावरण संरक्षण के शैक्षणिक प्रांत प्रमुख शिक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि जनजाति बन्धुओं के भगवान बिरसा मुंडा का जन्म ” 15 नवंबर 1875″ को झारखंड राज्य के उलिहातु गाँव में हुआ था। विदेशी अंग्रेजों के दमनकारी नीति के विरूद्ध स्वतंत्रता आंदोलन में शक्रिय भूमिका निभाये। उनका देहावसान राँची के जेल में 9 जून 1900 ई में हुआ था। वर्तमान समय में उन्हें धरती आबा (धर्मी पिता) के रूप में भारत के जनजाति समाज में पूजे जाते हैं। ऐसे महापुरुष के जन्म दिवस पर पौधारोपण स्मरणीय कार्य है।
पर्यावरण भारती के पौधारोपण कार्यक्रम में शिक्षक अरविंद कुमार, दिनेश मल्लिक, रघुवंश प्रसाद, राम बिलास शाण्डिल्य, छोटू कुमार, नीतिश कुमार, अक्षत राज, दीपक कुमार,अमित मल्लिक, मुकेश मल्लिक , विनोद मंडल, राम प्रवेश मल्लिक इत्यादि ने भाग लिए।