– स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में धूमधाम से हुआ ध्वजारोहण
पटना। पद्मश्री डॉ. शांति राय ने कहा कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के पुराने गौरव को स्थापित करना है। संस्कृति, संस्कार और संस्कृत की शिक्षा को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। श्रीमती राय ने चर्चा की बजाय शिक्षा संबंधी योजनाओं को आरंभ करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शुरू में सप्ताह में एक दिन संस्कृत भाषा सिखाने का कार्य आरंभ होना चाहिए। जिसे समय के साथ विस्तार मिलता जाएगा।
पद्मश्री डॉ. राय स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ परिसर में ध्वजारोहण समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर प्रसिद्ध स्त्रीरोग विशेषज्ञ श्रीमती राय ने स्वतंत्रता संग्राम के शहीद वीर सपूतों को नमन किया।
श्रीराम कर्मभूमि न्यास के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा ने कहा कि बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ संस्कार और संस्कृति का केंद्र है। लेकिन, कुछ ताकतों ने इस पर कुदृष्टि लगा रखी है। इसे बचाने और पुनर्जीवित करने के लिए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ जैसे संदर्भों तुलना की। साथ ही उस अनुरूप मुहिम पर बल दिया। शिक्षाविद् गिरजा शंकर प्रसाद ने नई पीढ़ी को परंपरा संरक्षण की सलाह दी। संस्था पूर्व छात्र अशोक कुमार सिंह ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए संस्कारित शिक्षा को आगे बढ़ाने की बात कही।
अधिवक्ता शिवम प्रेरणा ने कहा कि “आज, स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम केवल भौतिक स्वतंत्रता को ही अंतिम लक्ष्य न मानें। बल्कि, मानसिक गुलामी की जंजीरों से भी मुक्ति पाएं। इसके लिए हमें अपनी सोच में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। अपने संबोधन के बाद शिवम प्रेरणा ने देशभक्ति गीत भी गाया। संस्था के पूर्व उपसचिव प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुरेंद्र राय को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर प्रख्यात चिकित्सक डॉ० डीएन अकेला, प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ० रवि भूषण शर्मा समेत राम विनोद सिंह, राजदेव सिंह, डॉ० सोनू कुमार, गौरव आनंद समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में पूर्व शिक्षक श्यामनंदन प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापन किया।