बाढ़ : स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमियों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प,कलाकृतियों,व्यंजन एवं परम्परा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति(जीविका)द्वारा सरस मेला का आयोजन किया गया।इस दस दिवसीय बिहार सरस मेला का विधिवत उदघाटन ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने गुरुबार को ज्ञान भवन के मुख्य द्वार पर फीता काटकर किया।इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग सचिव लोकेश कुमार सिंह ने मेला परिसर में लगे विभिन्न स्टॉल का भ्रमण किया और ग्रामीण महिला शिल्पकारों द्वारा उत्पादित शिल्प,कलाकृतियाँ,उत्पादों तथा व्यंजनों का अवलोकन किया।ग्रामीण विकास विभाग सचिव श्रीसिंह ने मुख्य मंच पर दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
हिमांशु शर्मा, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ने मंच पर आगत अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया तथा आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (जीविका) हिमांशु शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि इस बार बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमी अपने हस्तशिल्प, कलाकृतियां, स्वाद, व्यंजन और परम्परा को लेकर 130 स्टॉल पर उपस्थित हैं। बिहार के सभी जिला से जीविका से संबंध स्वयं सहायता समूह से जुडी जीविका दीदियां भी अपने विभिन्न उत्पादों तथा देशी,शुद्ध एवं पौष्टिक व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं।ग्रामीण शिल्प,उत्पाद,लोक कला को एक मंच पर लाकर प्रोत्साहन एवं बाज़ार उपलब्ध कराना जीविका की प्रतिवद्धता है।
अंत में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्रीसिंह ने संबोंधित करते हुये कहा कि सरस मेला के माध्यम से ग्रामीण परिवेश की महिलाएं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं और ग्रामीण शिल्प एवं हस्तकला के सबसे बड़े बाज़ार में आकर बिहार के ही नही बल्कि देश भर की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाएं लाभान्वित हो रही है।ग्रामीण विकास विभाग भी गरीबी उन्मूलन एवं गांव – समाज के विकास के लिये जीविका के माध्यम से कई योजनायें क्रियान्वित करा रही है lसचिव श्रीसिंह ने कहा कि कि ग्रामीण शिल्प और उत्पादों को बेचने के लिए सरस मेला एक बड़ा माध्यम है।
उन्होंने कहा कि जीविका ने समाज में बड़ा बदलाव लाया है।जीविका दीदियां समाज के नव निर्माण में अहम् भूमिका अदा कर रही हैं और ग्रामीण विकास विभाग जीविका के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने का कार्य कर रही है। स्वयं सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं ऋण लेकर स्वरोजगार कर रही हैं और अब उनकी पहचान लखपति दीदी के तौर पर भी होने लगी है। सरस मेला के माध्यम से देश भर की स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं को हुनरमंद बनाते हुए उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है तथा हुनरमंद शिल्पकारों को मौका और प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
ग्रामीण विकास विभाग महिलाओं के स्वावलंबन के लिए तत्पर है और हरसंभव सहयोग प्रदान किया जा रहा है।अंत में आगत अतिथियों को जीविका दीदियों ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया। धन्यवाद ज्ञापन विशेष कार्य पदाधिकारी,जीविका राजेश कुमार ने करते हुए कहा कि सरस मेला के माध्यम से ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहन एवं एक बहूद्देशीय बाज़ार उपलब्ध कराना ही इस आयोजन का उद्देश्य है, यहां आकर ग्रामीण परिवेश की महिलाएं एक कुशल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं।उन्होंने आगत अतिथियों, स्टॉल धारकों, आगंतुकों एवं प्रेस प्रतिनिधियों को आगमन एवं प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर मंच पर निदेशक(जीविका) रामनिरंजन सिंह, कार्यक्रम समन्वयक (जीविका) महुआ राय चौधरी, राज्य परियोजना प्रबंधक (जीविका) समीर कुमार एवं परियोजना प्रबंधक संचार पवन प्रियदर्शी भी उपस्थित रहे तथा मंच संचालन शोमा चक्रवर्ती ने किया। ज्ञात हो कि बिहार सरस मेला 18 सितंबर से शुरू होकर 27 सितंबर 2024 तक चलेगा और मेला का समय सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक निर्धारित है तथा इस सरस मेले में प्रवेश निः शुल्क है। इसकी जानकारी कई जीविका दीदियों ने दी।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट