पौराणिक-ऐतिहासिक महत्त्व का स्थल चिरान्द गाँव अपनी उपासना परम्परा के लिये भी सदैव अग्रणी रहा है। श्रीरामभक्ति धारा में रसिक परम्परा के महान् आचार्य स्वामी श्रीयुगलप्रियाशरणजी महाराज के ऐतिहासिक मठ पर ग्यारह दिवसीय श्रीसीताराम नाम यश संकीर्त्तन महायज्ञ सम्प्रति विश्राम की ओर है। गंगा तट पर अवस्थित स्वामी जीवाराम जी का यह स्थल अपने आध्यात्मिक गौरव के कारण सम्पूर्ण भारत में श्रद्धा का केन्द्र है। वेदवेद्य परमात्मा श्रीराम के धर्मविग्रह रूप की मधुरोपासना के आद्य प्रवर्तक स्वामी श्रीअग्रअली जी महाराज हुए। इस उपासना परम्परा में ‘तत्सुखसुखित्व’ को स्थापित करने का श्रेय स्वामी जीवारामजी महाराज को है। आपके शिष्य स्वामी युगलानन्यशरण जी भक्तिमार्ग के महान् सिद्धान्तकार हुए हैं।
भगवान् के नाम-रुप-लीला और धाम की अहर्निश उपासना का प्रसार करने वाले स्वामी जी की शिष्य परम्परा से संचालित श्रीरसिकशिरोमणि मन्दिर चिरान्द में ग्यारह दिवसीय भव्य उत्सव का आयोजन सम्पन्न हो रहा है। आचार्यपीठ श्रीलक्ष्मण किला के महान्त मैथिलीरमणशरण जी की अध्यक्षता में होने वाले इस धार्मिक आयोजन में देश के विभिन्न स्थानों तपस्वी एवं विद्वान सन्तों का पदार्पण हो रहा है। ब्रह्मर्षि मौनी जी महाराज, महान्त श्रीशुकदेवदास जी महाराज, महान्त श्रीसीताशरण जी महाराज आदि सन्तों के अतिरिक्त सिद्दपीट श्रीहनुमत् -निवास अयोध्या के महान्त मिथिलेशनन्दिनीशरण जी समेत पूज्य सन्तों की वाणी और उनका दर्शन चिरान्द में सहज सुलभ हो रहा है।
आयोजन के विषय में बताते हुये श्रीकिलाधीश जी ने कहा कि परम नामजापक सन्त श्रीजानकीशरण ‘मधुकर’ जी की स्मृति में यह नाम महायज्ञ उनके कृपापात्र श्रीदिनेश पाण्डेय जी के नेतृत्व में सम्पन्न हो रहा है। सैकड़े की संख्या में नाम जप करने वाले भक्त ढोलक,मँजीरा और हारमोनियम के सात एक ताल से दिनरात सीताराम नाम का संकीर्त्तन कर रहे हैं। आचार्य मिथिलेशनन्दिनीशरण जी ने कहा कि चिरान्द रसिक उपासकों का तीर्थ है। सरयू जी यहाँ आकर गंगा जी में मिली हैं। गोस्वामी जी के अनुसार ‘राम भगति सुरसरितहिं जाई। मिली सुकीरति सरजु सुहाई।
इस स्थल पर श्रीयुगल सरकार की उपासना विशेष फलप्रद है। सीताराम नाम की उपासना कलियुग में कल्पवृक्ष है। महान्त सीताशनण जी ने कहा कि श्रीसीतराम नाम ही हमारा ध्येय-ज्ञेय और पेय है। आचार्य की सन्निधि में इसका सेवन, इससे बढ़कार लाभ क्या होगा। इस अवसाद पर सीतामढ़ी, छपरा, पटना, मुजफ्फरपुर, जनकपुर नेपाल तथा अयोध्या से सन्त एवं भक्तों का यहाँ समागम हो रहा है। ग्यारह दिनों के इस कार्यक्रम में नाम संकीर्तन, सन्त वाणी तथा प्रवचन के एवं भण्डारे के साथ दो जून को कार्क्रम विश्राम होगा।