विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज नीतीश सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण का विधेयक पेश किया जिसके बाद इसे पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब बेतिया राज की 15 हजार एकड़ जमीन पर बिहार सरकार का अधिकार हो जाएगा। यह जमीन और संपत्ति करीब सौ वर्षों से ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के अधीन थी। इस सप्पति का मूल्य करीब 7,960 करोड़ है। बेतिया राज की इस जमीन के बड़े हिस्से पर वर्षों से अवैध लोगों का कब्जा है। सरकार अब विधेयक पारित होने के बाद इस भूमि को अपने कब्जे में लेगी। इसके कुल 15,358.60 एकड़ भूमि में से 15,215.33 एकड़ बिहार में और 143.26 एकड़ उत्तर प्रदेश में है।
1896 से लगा है ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’
बेतिया नरेश राजा हरेंद्र किशोर सिंह की 26 मार्च 1893 को मृत्यु हो गई थी। उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। राजा हरेंद्र किशोर सिंह की दो पत्नियां-महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर थीं। उनकी पहली पत्नी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हो गई। यह पाया गया कि महारानी जानकी कुंवर संपत्ति का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ द्वारा किया गया। महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिलों के अलावा, सरकार ए चंपारण की सीमा बिहार के गोपालगंज, सीवान तक फैली थी। उनकी संपत्ति पटना और सारण जिलों में भी है। ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ कंपनी सरकार का एक ऐसा कानून है जिसके विरोध में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने 1857 का एतिहासिक युद्ध लड़ा था।
15 हजार एकड़ से ज्यादा की भूमि
विधेयक पारित हो जाने के बाद अब यह पूरी संपत्ति राज्य के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के पास आ जाएगी। बिहार सरकार ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। अब इसे और तेज किया जाएगा। फिलहाल राज्य सरकार बेतिया राज की संपत्ति की देखभाल करती है। अभी बिहार सरकार ने एडीएम रैंक के अधिकारी को इन संपत्तियों की देखरेख के लिए मैनेजर नियुक्त किया हुआ है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप कुमार जायसवाल की ओर से बेतिया राज की संपत्तियों को लेकर यह बिल सदन में रखा गया था।