बाढ़ : पावन सावन की दूसरी सोमवारी पर श्रध्दालुओं की उमड़ी भीड़ ने अनुमण्डल के विभिन्न घाटों पर उत्तरायण गंगा नदी में स्नान कर भगवान शंकर पर जलाभिषेक करते हुये पूजा-अर्चना की। धर्म शास्त्रों अनुसार सावन माह की सोमवारी को भगवान शंकर पर जलाभिषेक एवं उनकी षोडशोपचार से पूजा-अर्चना करने से मानव की हर मनोकामनायें पूर्ण होती है तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सावन माह के सोमबार को अनुमण्डल के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रध्दालुओं की भीड़ उमड़ गयी और अर्ध्द रात्रि से ही श्रध्दालुओं ने बिहार का “काशी (बनारस) सुविख्यात” उमानाथ मंदिर-घाट”, अलखनाथ, बनारसी घाट, पोस्ट ऑफिस घाट,बाल शनिधाम मंदिर घाट तथा गौरीशंकर घाट पर उत्तरवाहिनी गंगा नदी में स्नान कर पास के मंदिरों में भगवान शंकरजी पर जलाभिषेक कर भगवान शंकरजी सहित अन्य देवी-देवताओं का पूजा-अर्चना करते हुये “बोल बम,बोल बम” के जयकारे से आसपास के क्षेत्रों को भक्तिमय कर दिया।
वहीँ, श्रध्दालुओं की सुरक्षा ब्यवस्था के लिये नगर थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार के निर्देशानुसार अनुमण्डल के विभिन्न गंगा घाटों पर पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल तैनाती की गई और श्रध्दालुओं के बचाव के लिये एसडीआरएफ की टीम तथा नावों को भी गंगा नदी में तैनात की गई। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, अध्यक्ष संजय कुमार एवं उपाध्यक्ष प्रतिनिधि रविशंकर विद्यार्थी सहित अन्य पार्षदों द्वारा श्रध्दालुओं के बचाव एवं राहत कार्य सहित साफ-सफाई आदि की पुख्ता इंतजाम किया गया है। सर्वविदित है कि “उमानाथ महादेव” की प्रसिध्दि “मनोकामना पूर्ण महादेव” के रूप में युगों से है और उमानाथ महादेव को स्पर्श कर उत्तरायण गंगा प्रवाहित होने से इनकी तुलना धर्मशास्त्रों में काशी(बनारस) से की गयी है।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट