पुलिस ने बोधगया में बौद्ध मॉनेस्ट्री से एक बांग्लादेशी को गिरफ्तार किया है। वह मॉनेस्ट्री मेंं अपनी पहचान छिपाकर एक बौद्ध भिक्षु के रूप में रह रहा था। दरअसल बीटी एक्ट 1949 के विरुद्ध बोधगया में लगातार हो रहे धरना—प्रदर्शन और हंगामे को लेकर पुलिस और जांच एजेंसियों में जांच शुरू की। पुलिस ने मॉनेस्ट्री और होटलों को भी खंगालना शुरू किया तो बोधगया में एक मॉनेस्ट्री से भिक्षु बन कर रह रहे बांग्लादेशी की पोल खुली और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक ने बिना वीजा पासपोर्ट के एक माह पहले भारत में प्रवेश किया था। पहले तो उसने चकमा देने की कोशिश की लेकिन जब उससे कड़ाई से पूछताछ हुई तो वह टूट गया और अपने को बांग्लादेशी होने की बात मान ली।
जानकारी के अनुसार बांग्लादेशी नागरिक ने अरुणाचल प्रदेश में फर्जी आधार कार्ड बनवा लिया। इसमें उसने खुद को भारतीय नागरिक बताया और इसी आधार पर वह बोधगया आकर मॉनेस्ट्री में छिपकर रहने लगा। बौद्ध भिक्षु बनकर रह रहे इस बांग्लादेशी से जांच एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं। बांग्लादेशी नागरिक के पास से कोई वीजा पासपोर्ट नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि वह अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर शातिराना तरीके से बोधगया में निवास कर रहा था। ऐसा करने के पीछे उसकी क्या मंशा थी, इसका पता लगाया जा रहा है।
बताया जाता है कि बांग्लादेशी की गिरफ्तारी एक दिन पहले ही हो गई थी लेकिन खुलासा अब हुआ है क्योंकि उसकी जांच और पूछताछ की जा रही थी। अब उसे पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया। पता चला कि यह बांग्लादेशी बोधगया के स्लीपिंग बुद्ध टेंपल मॉनेस्ट्री में अपनी असल पहचान छिपाकर रह रहा था। उसे वहीं से पकड़ा गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिक का नाम पवन कांति बरुआ है और वह बांग्लादेश के इनामी जिले के कटखाली थाना क्षेत्र का रहने वाला है। बताया जा रहा है कि इसे जब पकड़ा गया और पूछताछ की गई तो उसने अपनी पहचान अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले लोहित चौखाम निवासी प्रफुल्ल चकमा के रूप में बताई। एक आधार कार्ड भी दिखाया जो कि फर्जी था।