-गैंगस्टर अशोक महतो ने शादी के बाद राजनीति में कदम रखने का किया एलान, नव विवाहिता मुंगेर से लड़ सकती हैं चुनाव
नवादा : कभी जिले के कुख्यात बाहुबली रहे गैंगस्टर अशोक महतो ने दिल्ली की लड़की से शादी रचा ली है। मंगलवार की रात महतो ने कुमारी अनीता के साथ सात फेरा लिया। अब अशोक महतो अपने प्रतिद्वंद्वी रहे अखिलेश सिंह की तरह राजनीति में अपना भाग्य अजमाना चाहते है़ं।
सूत्रों के अनुसार महतो ने आरजेडी से इस सीट पर दावा ठोक दिया है और अपनी पत्नी कुमारी अनिता को चुनाव मैदान में उतार दिया है। अशोक महतो ने कहा था कि मंगलवार को विवाह करेंगे और मंगलवार की देर रात अशोक महतो ने विवाह कर लिया। मंगलवार की रात अचानक लगभग 50 गाड़ी की काफिला के साथ अशोक महतो दूल्हा बनकर मां जगदंबा स्थान के मंदिर में पहुंचे और शादी रचाई। शादी समारोह में बारात बनाकर उनके चाहने वाले व उनके सहयोगी और परिवार शामिल हुए। अशोक महतो और उनकी पत्नी कुमारी अनिता के परिवार के सदस्य शादी समारोह में शामिल हुए। दिल्ली की रहने वाली कुमारी अनीता से शादी हो गई।
पटना के करौटा मां जगदंबा स्थान मंदिर में हुई शादी
पटना जिला के सलेमपुर थाना क्षेत्र के करौटा मां जगदंबा स्थान मंदिर में मंगलवार की देर रात 50 गाड़ी की काफिला के साथ अशोक महतो विवाह रचाने के लिए पहुंचे और बुधवार की 1:00 बजे अशोक महतो ने सात फेरा लेकर कुमारी अनिता की मांग में सिंदूर भरा दिया। 55 साल की उम्र में अशोक महतो ने अपनी जीवन साथी को चुन लिया है।
कभी जिले के बाहुबली थे अशोक महतो
नवादा के वारिसलीगंज में 1990 की दशक में अखिलेश सिंह व बाहुबली अशोक महतो की तूती बोलती थी। 17 साल बाद जेल से निकलने के बाद लंबा काफिला निकला, समर्थन मिले और जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो अशोक महतो भी चुनाव मैदान में उतर गए।
रहा है आपराधिक इतिहास
अपराधी अखिलेश सिंह व अशोक महतो गिरोह नवादा, नालन्दा व शेखपुरा जिले में सक्रिय था , का नेतृत्व किया करता था जिसमें पिंटू महतो भी शामिल था। अशोक महतो और उसका गिरोह 2005 में मौजूदा संसद सदस्य ( लोकसभा ) राजो सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार था। अशोक महतो को कैद कर लिया गया था लेकिन 2002 में वह नवादा जेल से भाग गया। जेल से भागने के दौरान पिंटू महतो ने तीन पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी थी।
कहा जाता है कि गिरोह के नेता या तो कुर्मी या कोइरी जाति से थे, और उन्हें नालंदा,नवादा और शेखपुरा क्षेत्रों में पिछड़ी जातियों का समर्थन प्राप्त था। 1990 के दशक के अंत में बड़ी संख्या में जाति के लोगों की हत्या के लिए महतो और उसका गिरोह जिम्मेदार था। महतो और गैंगस्टर अखिलेश सिंह के बीच प्रतिद्वंद्विता ने बिहार के नवादा , नालंदा और शेखपुरा जिलों के 100 से अधिक गांवों को प्रभावित किया था
खाकी- द बिहार चैप्टर
आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा की किताब पर आधारित वेब सिरीज़, अशोक महतो का नाम पर भी वेब सीरीज बनाया गया था । हालांकि इस वेब सीरीज का अशोक महतो समर्थकों ने विरोध भी किया है और कहा है कि इस सीरीज में कुछ कहानी गलत भी है।
उपेंद्र कुशवाहा ने अशोक महतो के समर्थन में उठाया था आवाज
उपेंद्र कुशवाहा अशोक महतो के बहाने नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण पर निशाना साधने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कोइरी जाति के अशोक महतो के साथ अन्याय हो रहा है। कहा है कि अगर आनंद मोहन को जेल से पेरोल पर रिहा किया जा रहा है तो अशोक महतो को क्यों सलाखों के पीछे बंद रखा गया है।
समर्थकों की जुटी थी भीड़
इधर, पकरीबरावां प्रखंड क्षेत्र के बढ़ौना गांव निवासी अशोक महतो उर्फ साधू जी 17 दिसंबर को भागलपुर कारा से रिहा होने के बाद अपने पैतृक घर बढ़ौना देर शाम को सैकड़ों समर्थकों के साथ पहुंचे थे। तब समर्थकों ने चातर मोड़ और बढ़ौना मोड़ पर महतो का जोरदार स्वागत किया था।