अरवल – शदर प्रखण्ड के सकरी पंचायत अंतर्गत सकरी राजस्व ग्राम में कृषि वर्ष 2025-26 के लिए अगहनी धान फसल का पंचायत स्तरीय फसल कटनी प्रयोग जिला पदाधिकारी, अरवल अभिलाषा शर्मा (भा० प्र० से०) के पर्यवेक्षण में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। फसल कटनी प्रयोग का उद्देश्य पंचायत स्तर पर धान उपज का वैज्ञानिक एवं सटीक आकलन करना है, जो राज्य सरकार की विभिन्न कृषि एवं विकासात्मक योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जिला पदाधिकारी महोदया ने स्वयं उपस्थित होकर पूरी प्रक्रिया का अवलोकन किया तथा इस वैज्ञानिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने बताया कि फसल कटनी प्रयोग के आंकड़े न केवल जिले की कृषि उत्पादकता का आकलन करते हैं, बल्कि यह किसानों को दी जाने वाली योजनाओं एवं अनुदानों के निर्धारण में भी सहायक सिद्ध होते हैं।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, अरवल, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी, सहित जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर के कई पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने संयुक्त रूप से फसल कटनी प्रक्रिया की प्रत्येक चरण का निरीक्षण किया। प्रयोग कृषक दिलीप कुमार के खेत में निर्धारित 10 × 5 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार किया गया। कटनी का कार्य प्रयोगकर्ता कुन्दन कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अरवल द्वारा किया गया।
इस दौरान किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक भी मौजूद रहे। कटनी के उपरांत हरे धान का कुल 34 किलोग्राम 250 ग्राम वजन दर्ज किया गया, जिसके आधार पर 68 क्विंटल 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की संभावित उपज का वैज्ञानिक आकलन किया गया। जिला सांख्यिकी कार्यालय द्वारा हर वर्ष अगहनी एवं रबी दोनों मौसमों में फसल कटनी प्रयोग किए जाते हैं। पंचायत स्तर से प्राप्त उपज दर के आंकड़े जिला एवं राज्य स्तर पर संकलित कर राज्य सरकार को उपलब्ध कराए जाते हैं।
इन सांख्यिकीय आंकड़ों का उपयोग फसल उत्पादकता के मूल्यांकन, फसल बीमा, राहत राशि, कृषि योजनाओं की नीति-निर्माण प्रक्रिया सहित कई महत्वपूर्ण पहलुओं में किया जाता है। जिला पदाधिकारी महोदया ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि फसल कटनी प्रयोग कृषि विभाग का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है, अतः इसे पूरी निष्पक्षता एवं वैज्ञानिक मानकों के तहत समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए, ताकि जिले की वास्तविक कृषि उपज का सही आकलन संभव हो सके।