अरवल – वक़्फ संशोधन कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर धरना दिया गया। भाकपा माले जिला कार्यालय से जुलूस निकला और प्रखंड मुख्यालय परिसर में पहुंच कर धरना दिया गया। जिसकी अध्यक्षता भक्ति माली राज कमेटी सदस्य रविंद्र यादव की। इस अवसर पर पहलगाम में मारे गए पर्यटकों को श्रद्धांजलि दिया गया। धरनार्थियों को संबोधित करते हुए माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य व अरवल विधायक महानंद सिंह ने कहा कि पहलगाम में मारे गए सभी पर्यटकों को शहीद का दर्जा देने में और जो इंटेलिजेंस व सैन्य मामले में चूक हुई है जिसकी जांच कराने के मामले में सरकार की रवैया नकारात्मक है।
उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक़्फ संशोधन कानून लागू करने के मामले में अंतरिम तौर पर रोक लगाई गई है। जिसे संविधान प्रदत अधिकारों की अनदेखी करते हुए वक़्फ संशोधन कानून बना है वह कहीं से उचित नहीं है। इसे केवल मुस्लिम समुदाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। संविधान की धारा 14, 25 , 26 एवं 29 का घोर उलंघन किया गया है। जब संविधान का उलंघन किया गया है तब इसके जद में दलित, पिछड़ा, महिला व अल्पसंख्यक समुदाय आएंगे और उनके संवैधानिक अधिकार पर कभी भी हमला बदस्तूर जारी रहेगा। उसी का नतीजा है कि सवाल करने पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का वक़्फ संशोधन कानून के मामले गंभीर सवाल उठाते जिसमे बहाल करने पर रोक लगाने, वक़्फ की संपत्ति को यथावत रखने कोई छेड़ छाड़ नहीं करने, डीएम को नए कानून के तहत पहल नहीं करने जैसे शर्तो के साथ अंतिम आदेश तक रोक लगा दिया जाना सरकार की किरकिरी हो गया है। भाजपा पहलगाम की घटना को एक समुदाय के खिलाफ मुहिम बनाने में लगी हुई है जिसे जनता पूरे सिरे से नकार दिया है। इस घटना का एक खास समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की भरपूर कोशिश की गई लेकिन देश की जनता, बिहार की जनता ने उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। उनकी मंशा को नाकाम करने में भाईचारे को स्थापित करने में भरपूर सक्रियता दिखाई है।
देश की गंगा जमुनी तहजीब को मजबूत बनाने में शहीद हुए परिवार के लोगों ने भरपूर योगदान किया है। यह काबिले तारीफ है। धरना को माले जिला सचिव जितेंद्र यादव, पूर्व कुर्था के मुखिया जमालुद्दीन अंसारी, सुएब आलम, राजेश्वरी यादव, राम कुमार सिन्हा समेत कई नेताओं ने संबोधित किया। वहां तैनात मजिस्ट्रेट को एक स्मार-पत्र सौंपा गया जिसमें पहलगाम में मारे गए पर्यटकों को शहीद का दर्जा देने, घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने, वक़्फ संशोधन कानून वापस लेने की मांग की गई है।
देवेंद्र कुमार की रिपोर्ट