अरवल – जिला पदाधिकारी कुमार गौरव के निदेशानुसार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार एवं महिला एवं बाल विकास निगम, बिहार, पटना के तहत अक्षय तृतीया के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा बाल विवाह रोकथाम को लेकर पूरी तरह सजग रहा। अक्षय तृतीया के अवसर पर होने वाले संभावित बाल विवाह रोकथाम हेतू जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आई. सी. डी. एस. रचना सिन्हा ने आज मोथा, किंजर सहित अन्य मंदिरों का निरीक्षण किया तथा मंदिर प्रबंधक के साथ बैठक कर आवश्यक निदेश दिया।
उन्होंने मंदिर प्रबंधन से सुनिश्चित किया कि मंदिरों में बाल विवाह न हो और बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाए। जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आई.सी.डी.एस. द्वारा वहाँ पर पंजीकृत पंजीकरण रसीद की भी जाँच की गई। इस दौरान उन्होनें बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी को बाल विवाह माना गया है और बाल विवाह कानूनन जुर्म है।
इस तरह की शादी में शामिल वर-वधू पक्ष के अभिभावक और संबंधी सहित पंडित ,मौलवी सभी धर्मों के धर्मगुरू, टेंट, कैटरर्स, बैंड बाजा संचालक, शादी कार्ड प्रिंटिंग प्रेस, मैरेज हाल मालिक, बारात एवं शादी में शामिल वैसे सभी व्यक्ति जिनकी सहभागिता किसी भी रूप में शादी में हुई हो, कानून में उनके लिए दंड का प्रावधान है। दंड के रूप में इसके लिए दो वर्ष तक का कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। कानून तोड़ने वाले सभी व्यक्ति दंड के भागी होंगें।
इस दौरान मंदिर के आसपास मौजूद महिलाओं को जागरूक करते हुए डीपीओ ने कहा कि बाल विवाह एक गम्भीर सामाजिक बुराई है समाज में इस कुप्रथा का स्वरूप बहुत ही भयावह है कम उम्र में शादी होने पर लड़कियां बीमारी से ग्रसित रहती है। कम उम्र में ही अधिक उम्र की दिखने लगतीं हैं उनका औसत आयु भी घट जाता है इसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना है। इस मौके पर डीपीएम विनय प्रताप, डीएमसी मिशन शक्ति धीरेन्द्र कुमार, जिला समन्वयक एएनएम सूरज कुमार के साथ अन्य मौजूद थे।
देवेंद्र कुमार की रिपोर्ट