अरवल – जिले के रामपुर गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कथा के द्वारा श्रीमद भागवत कथा महात्म्य के बारे मे जानकारी दे रहे हैं. उन्होंने कथा मे के तीसरे दिन गो कर्ण की कथा सुनाया. तथा कहा कि आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति का एकमात्र मार्ग भागवत कथा का श्रवण है. गुरूकी महत्ता हमारे जीवन में अनुपम है क्योंकि गुरू के बिना हम जीवन का सार ही नहीं समझ सकते हैं. लेकिन हमेशा इस बात का सदैव ही ध्यान रखना चाहिए कि गुरू के समक्ष चंचलता नहीं करनी चाहिए और सदा ही अल्पवासी होना चाहिए. जितनी आवश्यकता है उतना ही बोलें और जितना अधिक हो सके गुरू की वाणी का श्रवण करें.
उन्होंने कहा कि गुरू चरणों की सेवा का अवसर मिलना परम सौभाग्य होता है, जो अनमोल है. मुझे भी ठाकुरजी की कृपा से गुरूसेवा का दायित्व मिला था, लेकिन उस समय सेवाभाव का ज्ञान नहीं था और अब जब ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी है तो गुरू सेवा का अवसर नहीं हैं. इसलिए गुरू सेवा को समर्पित भाव से करना और उनका आदेश का पालन सदा ही करना चाहिए. गुरू की महिमा अपार है और उनकी करूणा अदभुत है कब किस पर अनुग्रह हो जाएं.
पृथ्वी लोक पर बार-बार परमात्मा का अतवरण होता है, उनकी लीलाएं होती है और गुणगान करते हुए कर्मधर्म के साथ ही महायज्ञ होते हैं. ऐसे में परमात्मा स्वयं यहां पर जन्म लेते हैं. वे जीव के प्रेम उसकी करुण पुकार को जरूर सुनता है. भागवत महात्म्य सुनाते हुए कहा कि जब भी परमात्मा का गुणानुवाद इस पृथ्वी पर होता है या परमात्मा स्वयं आकर यहां पर तरह-तरह की लीलाएं करते हैं तो देवतागण भी पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं.
भागवत पुराण कथा को श्रवण करने वाले भक्त निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं. जिस प्रकार राजा परीक्षित श्राप से मुक्त हो गए, अनेकानेक राक्षस और पापी भी उस परमात्मा की कृपा से मुक्ति पा गए ऐसे सभी पुराणों और ग्रंथों में महापुराण की संज्ञा पाने वाला श्रीमद्भागवत पुराण है. जिसकी कथाओं का श्रवण करने के लिए इतने बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं. भक्तों के मन की वांछित कल्पनाओं से परे हटकर पुण्य फल प्रदान करने वाला यह महात्म्य होता है. वास्तव में श्रोता ही भागवत कथा के प्राण हैं. जिसके कल्याण के लिए इस प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं.
आपके हृदय में भगवान का वास है तो श्रीहरि पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं. भगवान का उन्हीं लोगों के हृदय में वास होता है, जो सत्कर्म करते हैं. अनैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है. परन्तु तुम्हारे अनैतिक कर्मों को तुम्हें ही भोगना होगा. इसलिए कर्म करनें में सावधानी बरतें. कथा के बाद आरती और प्रसाद वितरण किया गया.
देवेंद्र कुमार की रिपोर्ट