अररिया से तेज हो गयी मोदी की आंधी:
बिहार के पूर्णिया में दूसरे चरण के मतदान की गहमागहमी थी, ठीक उसी समय बगल के अररिया में पीएम मोदी 2024 के चुनाव के उस चक्रव्यूह को तार-तार कर रहे थे जिसे इंडी गठबंध ने बडी मेहनत से तैयार किया था। अब इंडी गठबंधन मोदी के पीच पर खेलने को बाध्य हो गयी है। कांग्रेस के रणनीतिकारो के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी दिखने लगी हैं। बिहार के इस सभा में नरेंद्र मोदी अपनी चिरपरिचित अंदाज में चुनावी रण में कृष्ण नीति से तुष्टिकरण की राजनीति को उसकी औकात दिखा दी।
बिहार ऐसा प्रदेश है जहां चुनावों में भ्रामक आख्यान गढ़ने की पुरानी परंपरा रही है:
भ्रामक आख्यान के साथ तुष्टिकरण का उपयोग कर चुनाव की दिशा बदलने वालों पर आज पीएम मोदी भारी पड़े। उन्होंने उन कटु सच्चाइयों को बेबाक लोगों के सामने रख दी जिससे भारत का बहुसंख्यक पिछड़ा समाज पीड़ित रहा है। जातिवाद के साथ तुष्टिकरण के काकटेल से तैयार विष के घातक प्रभाव व परिणाम से उन्होंने लोगों को अवगत करा दिया। बड़ी परिश्रम से गढ़े गए छद्म आदर्शवादिता के उन सभी विकृत चेहरों व खतरनाक मंसूबों को भी उन्होंने स्पष्टता से उजागर कर दिया।
मोदी की अररिया सभा:
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भारत की राजनीति की समझ रखने वाले कह रहे हैं कि मोदी की अररिया सभा से जो वेव उठा है वह परिणाम देकर ही रहेगा। इंडी गठबंधन जिसे कम्युनल कह रहा है वह भारत के बहुसंख्यकों के लिए अस्तित्व की लड़ाई जैसी बन गयी है। वोट से यदि अपने अस्तित्व की रक्षा हो सकती है तो बहुसंख्यक समाज इससे पीछे नहीं हटेगा। मतदान को लेकर जो मंदी थी वह अब तेजी में बदल जाएगी।