बिहार पुलिस के एडीजी मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने चौतरफा निंदा के बाद अब किसानों से मांफी मांग ली है। हालांकि उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि पिछले दिनों रोज—रोज हो रही हत्याओं को लेकर उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में जो बयान दिया था, मीडिया ने उसके कुछ अंश को तोड़ मरोड़ कर पेश किया। इसी वजह से इस बयान के बाद विवाद खड़ा हुआ। अपने माफी वाले बयान में एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा कि उनके द्वारा दिये गए बयान का तात्पर्य यह नहीं था कि हमारे देश के किसान भाई, हमारे अन्नदाता का किसी आपराधिक घटना से लेना देना है। बल्कि किसान हमेशा हमारे लिए सम्मान के पात्र हैं।
एडीजी ने आगे कहा कि प्रत्येक आपराधिक घटना के पीछे सिर्फ अपराधी होते हैं। अपराधी की जाति और कोई धर्म नहीं होता। मेरे मन में किसानों के प्रति काफी आदार भाव है। मेरे पूर्वज भी किसान थे। मेरे बयान से अगर किसी को ठेस पहुंचा है तो उसके लिए मुझे खेद है और इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं। एडीजी ने तीन दिन पहले कहा था कि पिछले कई सालों से ऐसा ट्रेंड रहा है कि जब तक बरसात नहीं होती तब तक राज्य में हत्याओं का सिलसिला जारी रहता है। उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि अप्रैल, मई और जून के महीने में ज्यादा मर्डर होते हैं, क्योंकि किसानों के पास काम नहीं होता। वहीं बारिश के बाद किसान खेती के काम में व्यस्त हो जाते हैं।
एडीजी के कहने का मतलब यह था कि खेती के कारण आपसी विवाद बढ़ जाता है और हत्याएं होती है। इसको लेकर मचे बवाल के बीच आज शनिवार को एडीजी ने साफ कहा कि किसान भाई जो हमारे अन्नदाता हैं, उनका किसी भी तरह की आपराधिक घटना से कोई लेना—देना नहीं हो सकता है। दरअसल, पटना के पारस अस्पताल में गैंग्स्टर चंदन मिश्रा की हत्या को लेकर पिछले दिनों एडीजी प्रेसवार्ता कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर इस तरह का बयान दिया। इसको लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो गयी। चिराग पासवान ने भी इस बयान के लिए उनकी तीव्र आलोचना की।