40 सीटे जीतने का दावा पर मिला 12
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा बिहार की सबी 40 सीटे जीतने का दावा की थी, लेकिन उसे 12 सीट से ही संतोष करना पड़ा वहीं एनडीए को 30 सीट मिली. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट, आरा और बक्सर सीट भी भाजपा के हाथ से चली गई . पाटलिपुत्र, काराकाट और आरा में बाजपा को लगों का साथ नहीं मिला.
पटना की दो सीटें हैं, पहली पटना साहिब और दूसरी पाटलिपुत्र। पटना साहिब सीट पर कायस्थ और OBC वोटरों की अच्छी खासी तादाद है. जबकि पाटलिपुत्र में सवर्ण (भूमिहार, ब्राह्रण) वोटरों के साथ OBC और दलित वोट भी काफी तादाद में हैं. यहां भूमिहार वोट 10 फीसदी, राजपूत 4 प्रतिशत और ब्राह्मण वोटर 2 प्रतिशत हैं. इसके अलावा मुसलमान वोटर 8 फीसदी हैं. पिछले दो चुनावों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को यहां से हार ही मिली थी.
भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा
आरा सीट पर राजपूत वोटरों की संक्या ज्यादा है. साथ दलित और अल्पसंख्यक वोट भी ठीकठाक हैं. यहां पांच लाख अतिपिछड़ों के वोट हैं. भाजपा को उम्मीद थी कि इन वोटों का एक बड़ा हिस्सा उन्हें मिलेगा लेकिन आखिरी वक्त में दलित और अतिपिछड़े वोटरों में से काफी हद तक ज्यादातर वोटरों ने आर के सिंह से मुंह मोड़ लिया. परिणाम भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा.
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बक्सर की सीट को भी भाजपा का गढ़ माना जाता है
बक्सर की सीट को भी भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण-राजपूत और भूमिहार वोट हैं. यहां ब्राह्मण वोटरों की संख्या करीब 3 लाख 40 हजार है. वहीं भूमिहार वोटर 2 लाख 20 हजार के आसपास हैं. जबकि राजपूत वोटर भी 2 लाख 90 हजार के करीब हैं. यहां मुसलमान वोटरों की तादाद 1 लाख 30 हजार है. यहां बीजेपी के उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी को 30,091 वोट से हार मिली. भाजपा को यहां से हार की उम्मीद भी नहीं थी. भाजपा सवर्ण वोटरों को दरकिनार करती रही. वह दलित और पिछड़े वोट पर फोकस करते रही. अंतिम समय में भाजपा को दलित और पिछड़े वोटर्स ने साथ नहीं दिया.
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