– आठ दिवसीय कैथी लिपि प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
इंटैक, पटना चैप्टर, आई. सी. एच. आर., नई दिल्ली, भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली, बिहार पुराविद् परिषद, पटना एवं मैथिली साहित्य संस्थान, पटना द्वारा आयोजित सप्ताह भर चली कैथी लिपि प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आज समापन हुआ। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया की शोधार्थी प्रो. डाॅ. अनुभा अनुश्री ने चीन से लेकर मेसोपोटामिया तक हुए सांस्कृतिक विस्तार की चर्चा करते हुए कैथी लिपि की ऐतिहासिकता पर विद्वत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि चीन के बौद्धिक एवं धार्मिक विकास में बिहार की लिपियों की अहम भूमिका रही है। देश की विभिन्न लिपियों के बीच के अंतरसंबंधों के अध्ययन के लिए सरकार को लिपि आधारित अध्ययन एवं शोध केंद्र की स्थापना करने पर विचार करना चाहिए।
कार्यक्रम के आयोजक एवं इंटैक, पटना चैप्टर के प्रमुख भैरव लाल दास ने कहा कि कैथी लिपि के अध्ययन के बिना बिहार के सांस्कृतिक इतिहास को जानना असंभव है। कैथी लिपि का उपयोग वीर कुंवर सिंह, पंडित राजकुमार शुक्ल, भिखारी ठाकुर और राजेंद्र प्रसाद आदि किया करते थे। कैथी किसी एक जाति/भाषा/धर्म या समुदाय से ही संबंधित नहीं है।
भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, बज्जिका, सूरजापुरी से लेकर नेपाली, बंगला, उर्दू, अवधी, खड़ी बोली एवं ब्रजभाषा में भी इस लिपि के उपयोग के प्रमाण मिलते हैं। कैथी को विलुप्त होने से बचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं विशेष कंप्यूटर एप्लीकेशन की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया। निफ्ट, पटना के प्रो. जयंत कुमार ने कैथी के विभिन्न प्रकारों की चर्चा करते हुए हस्तलिखित और टंकित कैथी के बीच के संबंधों के अध्ययन की आवश्यकता बताई। संग्रहालय बिहार के पूर्व निदेशक उमेश चंद्र द्विवेदी ने कैथी के निरंतर अभ्यास करने, विशेष रूप से जमीन के दस्तावेजों के अध्ययन एवं अनुवाद के माध्यम से सामाजिक तनाव दूर करने पर बल दिया।
पूर्व आई.जी. एवं बिहार पुराविद् परिषद के अध्यक्ष उमेश कुमार सिंह ने कहा कि कैथी लिपि सीखने से इतिहास से संबंधित शोध एवं अन्वेषण कार्य आसान हो सकता है। भारतीय इतिहास संकलन समिति के शैलेश कुमार ने कहा कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कैथी लिपि की पढ़ाई सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम में होना चाहिए। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रयाग केंद्र की प्रो. विजया सिंह ने मगही भाषा के विकास एवं अध्ययन में कैथी लिपि के ज्ञान की आवश्यकता बताई।
कैथी लिपि के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 32 प्रतिभागी शामिल हुए। सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देते हुए इंटैक बिहार के संयोजक प्रेम शरण ने कहा कि कैथी बिहार की धरोहर है और इसे बचाने के लिए कर सभी स्तरों पर प्रयास किया जाना चाहिए। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ऑनलाइन पद्धति में देश के कई शहरों के प्रतिभागी लाभान्वित हुए। इसे सफल बनाने में आई. सी. एच.आर. के नरेंद्र शुक्ल एवं भा. ई. संकलन योजना के राकेश मंजुल का मार्गदर्शन एवं सहयोग प्राप्त हुआ।