ARARIYA: बिहार का बकरा नदी खूब सुर्खियां बटोर रहा है,कारण है कि बिहार के अररिया में स्थित बकरा नदी पर बना पुल मंगलवार को ध्वस्त हो गया था. पानी के तेज बहाव में पुल का तीन पिलर और ऊपर का गार्डर भरभरा कर बकरा नदी में समा गया था. ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी से में बात करने पर उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन सहायक अभियंता अंजनी कुमार एवं कनीय अभियंता मनीष कुमार को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही पुल निर्माण के संवेदक सिराजुर रहमान पर एफआईआर दर्ज कर उनकी कंपनी को काली सूची में दर्ज कर कार्रवाई करने का शख्त आदेश जारी किया है.
पुल ध्वस्त होने के पूरे हादसे का उच्चस्तरीय जांच शुरू
पुल ध्वस्त होने के पूरे हादसे का उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गया है. डीएम इनायत खान और आरईओ विभाग की टीम बुधवार को घटना स्थल पर पहुंचकर घ्वस्त पुल का जायजा लिया. मौके पर डीएम इनायत खान ने बताया कि पुल हादसे मामले में सरकार ने कड़ा कदम उठाया है. पुल निर्माण में जुड़े दो अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है. इसकी उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गई है साथ ही ये भी कहा कि अब पटना से टीम आकर ध्वस्त पुल की जांच करेगी.
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने लगाया आरोप
अब पुल मामले में राजद की प्रतिक्रिया जाने तो राजद ने कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है.पुल जिस तरह से ध्वस्त हुआ उसको लेकर बिहार में सियासत भी तेज हो गयी है. राजद का कहना है कि घटिया निर्माण के कारण ही पुल बनते-बनते ही ढह गया. राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि ग्रामीण कार्य विभाग में जूनियर इंजीनियर पर कार्रवाई की गयी है. और दो लोगों पर भी कार्रवाई हुई है, लेकिन मुख्य अभियंता पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई है. निश्चित तौर पर यह सवाल विपक्ष विभागीय मंत्री से जानना चाहता है आखिर मुख्य अभियंता पर कार्रवाई क्यूं नहीं की गई.यानि कि मामले में कार्रवाई पर शक्ति यादव ने शक जाहिर की है.
12 करोड़ से बनने वाली इस पुल में कुल 8 पिलर का निर्माण किया गया था
पुनः बता दें की सिकटी प्रखंड के बकरा नदी के परडिया घाट पर बन रहा पुल मंगलवार को अचानक गिर गया. हादसे में पुल का तीन पाया पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. 12 करोड़ से बनने वाली इस पुल में कुल 8 पिलर का निर्माण किया गया था. 181 मीटर लंबे पुल को 2020 में ही पूरा कर लेना था. कोविड और बाढ़ के कारण निर्माण कार्य पूरा करने में देरी हुई. लेकिन, जब यह पुल लगभग बनकर तैयार हुआ ही था कि ध्वस्त हो गया.आये दिन ऐसी होने वाली घटनाएं सरकार और अधिकारीयों को शक के घेरे में खड़ा करती है.
गौरव आनंद की रिपोर्ट