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गो माता समान फल्गु

गया को नदी तीर्थ कहा गया है। इस प्रकार फल्गु नदी के कारण ही गया व बोधगया का अस्तित्व है।

गयाजी की ‘शब्द’ साधना

शब्द ब्रह्म की ऊर्जा यानी भाषा के प्रयोग उपकरण के रूप में साहित्य को परिभाषित किया गया है। भारत की

गयाजी का पत्थर शिल्प बाजार

गया के अतरी क्षेत्र में अवस्थित पत्थरकट्टी गांव को बसाने का श्रेय इंन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर को जाता है।

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष वाले गयाजी

एकांत में बैठकर जब मैं गयाजी का ध्यान करता हूं तब भारत की संस्कृति, ज्ञान परंपरा और सनातन धर्म की

अनादि हैं गयाजी

अनादि काल से करोड़ों लोगों के हृदय में, मन में, वाणी में गदाधर भगवान विष्णु की यह पुण्य नगरी ‘गयाजी’

बुद्धों का गयाजी

ऐतिहासिक प्रमाणों की उपेक्षा कर समाज में यह अवधारणा बना दिया गया है कि बोध गया गौतमबुद्ध का और गया

गया श्राद्ध : एक नहीं, तीन पितृपक्ष

आश्विन कृष्णपक्ष जिसे पितृपक्ष कहते है। इसी पितृपक्ष के अवसर पर गयाजी में श्राद्ध को लोग महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन,

सर्वव्यापी गयाजी

इतिहास की आड़ में गयाजी के माथे पर सनातन और बौद्ध संघर्ष के कलंक का गढ़ा गया आख्यान प्रमाण की

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