अर्थ का अनर्थ कर चुनावी नतीजा कैसे बदलते रहे है लालू यादव
इस लोकसभा चुनाव के अवसर पर भारत की राजनीति ‘अर्थ विद्रूपण’ की समस्या से ग्रस्त होकर निकृष्टतम रूप में आ गयी है। किसी बड़े नेता के बयान के अर्थ का अनर्थ कर चुनावी नतीजा बदल देने के लालू यादव की कई कहानियां है। इस बार के चुनाव में वे ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे हैं, लेकिन उनका सामना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है जो नहले पर दहला मारने के लिए प्रसिद्ध हैं।
लोकतंत्र के लिए चुनाव ऐसा अवसर होता है जिसमें सत्य व तथ्य के आधार पर लोकमत जागरण व प्रशिक्षण का कार्य होता है। लेकिन पिछले कुछ दशकों से चुनाव जीतने के लिए अर्थ विद्रूपण का ऐसा खेल शुरू हो गया है जिसमें लोकतंत्र और लोकहित दोनों की बलि चढ़ रही है।
बिहार में लालू ब्रांड राजनीति में अर्थ विद्रूपण का सबसे अधिक वायरल मामला नरेंद्र मोदी का बयान है।
7 नवंबर, 2013 को छत्तीसगढ़ के कांकड़ की सभा में गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि
‘‘ देश का जो काला धन विदेश में जमा है, उसके एक -एक पैसे यदि हम ले आएं तो यूं ही एक-एक व्यक्ति को 15-20 लाख रुपए मिल जाएंगे।’’
राजद के सर्वोच्च नेता लालू प्रसाद यादव ने नरेंद्र मोदी के इस कथन से ‘यदि’ शब्द को निकाल बाहर कर दिया। इसके बाद अर्थ विद्रूपण की सारी हदें पार करते हुए उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि भारत के प्रधानमंत्री ने 2014 के पूर्व वादा किया था कि चुनाव जितने के बाद वे भारत के सभी लोगांे के बैंक खाते में वे 15 लाख जमा करा देंगे।
बिहार के गांव-गांव में लोहा सिंह का नाटक प्रसिद्ध था। रेडियों पर जब लोहा सिंह का नाटक प्रसारित होता था तब सभी लोग एकत्रित हो जाते थे। लोहा सिंह की शैली में लालू यादव ने नरेंद्र मोदी के उस कथन से यदि शब्द को विलोपित करते हुए आम सभा में 15 लाख की मांग करने लगे। सभा में शामिल लोगों का लालू यादव के उस भदेश अंदाज से खूब मनोरंजन होता था। वहीं बहुत लोग उनके इस भाषण को सत्य मान बैठे हैं। अब शहर से लेकर गांव तक बहुत लोग ऐसे मिल जाते हैं जो कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने 15 लाख देने का वादा किया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से परास्त होने के बाद लालू यादव ने 2015 के विधानसभा चुनाव के अवसर आरएसएस के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत के आरक्षण से सम्बंधित बयान को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत कर दिया। जब तक भाजपा और संघ लालू के उस खेल को समझते तअ तक बात बिगड़ चुकी थी। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह से हार गयी।
अब नरेंद्र मोदी ने मजहब के आधार पर आरक्षण का मुद्दा सामने लाकर आरक्षण के बल पर राजनीतिक रोटी सेंकने वालों को चित कर दिया है।
अर्थ विद्रूपण का अर्थ होता है कि किसी संदेश व वक्तव्य से कुछ शब्दों को जानबूझकर हटा देना और उस पूरे संदेश का अर्थ संकुचित कर देना या पूरी तरह से बदल देना। अब चुनाव लोग युद्ध की तरह लड़ रहे हैं जिसमें लोकतंत्र के व्यापक हित की चिंता की जगह किसी तरह कुर्सी प्राप्त करना लक्ष्य हो गया है।