आरएसएस के नाम पर कांग्रेस को वोट की अपील का षड्यंत्र.
कांग्रेस को आरएसएस का समर्थन का भ्रम फैलाने वाले कानून के जद में:
चुनावी लाभ के लिए आरएसएस के नाम का दुरूपयोग:
लोकसभा चुनाव में आरएसएस का नाम लेकर कांग्रेस के लिए वोट की अपील करना तथाकथित एक्टिविस्टों को महंगा पड़ गया। इतना ही नहीं उन एक्टिविस्टों ने सोशलमीडिया का उपयोग कर वह फर्जी बयान को वायरल करा दिया। यह घटना आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय शहर नागपुर की है।
नागपुर षहर के सिविल लाईन्स मुहल्ले में स्थित प्रेस क्लब में जनार्दन मून और पाशा नामक तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों पत्रकार वार्ता में में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का उपयोग करते हुए अजीब तरह के मनगढ़ंत दावे कर दिए। चुनाव के दौरान ही 23 मार्च 2024 को इन दोनों ने दावा किया कि आरएसएस भी कांग्रेस पार्टी का समर्थन किया है। इससे समाज तथा स्वयंसेवकों में भ्रम की स्थिति बन गयी। भ्रम की स्थिति के निवारण में समाज के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस कृत्य को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत भी की गयी। इसके साथ ही सीताबर्डी पुलिस थाने में उपरोक्त व्यक्तियों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया था। इस आपराधिक मामले को निरस्त करवाने के उद्देश्य से दोनों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने जनार्दन मून की याचिका खारिज कर दी।
जनार्दन मून और पाशा द्वारा 23 मार्च को पत्रकार वार्ता के दौरान ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का कांग्रेस पार्टी को समर्थन के दावे पर पहले तो किसी को विश्वास नहीं हुआ लेकिन मीडिया के माध्यम से जब यह निश्चित हुआ तब सभी सकते में आ गए।. इस मामले में रा. स्व. संघ नागपुर महानगर कार्यवाह रवींद्र बोकारे ने सीताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत की। इस पर पुलिस ने आईटी कानून की धारा 66 और भादंवि की धारा 505 (2) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था।
शिकायतकर्ता रवींद्र बोकारे को 23 मार्च के दिन व्हॉटसएप पर, जनार्दन मून द्वारा नामित ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नाम से पत्रकार परिषद आयोजित करने की जानकारी प्राप्त हुई थी। पत्रकार परिषद में मून तथा पाशा ने मनगढ़ंत दावे किए थे।
इसके पूर्व भी, जनार्दन मून ने आरएसएस नामक संस्था स्थापन करने हेतु सहायक निबंधक कार्यालय में निवेदन किया था।
किन्तु, उनका आवेदन खारिज हो गया था। इसके खिलाफ उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी और सर्वोच्च न्यायालय में भी विशेष अनुमति याचिका द्वारा (एसएलपी) निर्णय को चुनौती दी थी। इन सभी याचिकाओं को माननीय न्यायालय खारिज कर चुका है। जनार्दन मून की ‘आरएसएस’ नामक कोई भी संस्था नहीं है. किन्तु उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नाम का दुरुपयोग कर सोशल मीडिया पर संघ के विषय में भ्रामक बातें प्रसारित किया। मून एवं पाशा इन दोनों के खिलाफ पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस इन्हें खोज रही है।