पटना/जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा है कि संघ की स्थापना डॉ०केशव बलिराम हेडगेवार ने समाज को राष्ट्र निर्माण से जोड़ने के उद्देश्य से की थी और बीते 100 वर्षों में संघ ने इसी विचार के साथ निरंतर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि शाखाओं के माध्यम से अनुशासन, देशभक्ति और सेवा भाव का विकास किया गया, जिससे समाज में राष्ट्रीय चेतना का विस्तार हुआ।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर विगत रविवार को जयपुर के सवाई मानसिंह इंडोर स्टेडियम में सीए,सीएस,सीएमए,टैक्स प्रोफेशनल्स द्वारा आयोजित ” भारत बोध “कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन,देश विभाजन,आपातकाल और अलगाववाद के दौर में संघ के स्वयंसेवकों की सक्रिय भूमिका रही है और संघ के संस्थापक डॉ०हेडगवार आजादी के आंदोलन में दो बार जेल गये।उन्होंने कहा कि संघ राष्ट्र को राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक इकाई मानता है और समाज में स्वाभिमान,एकता व राष्ट्रीय चेतना के प्रसार पर बल देता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण के माध्यम से ही राष्ट्र निर्माण संभव है। संघ की शाखाओं में खेल,गीत,प्रार्थना और सामूहिक जीवन के जरिये सामान्य व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता और सेवा भाव का विकास किया जाता है। संगठन में दायित्व पद की आकांक्षा के बजाय गुण,नीयत और कुशलता के आधार पर दिये जाते हैं।उन्होंने कहा कि हिंदुत्व राजनीतिक अवधारणा नहीं बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही सांस्कृतिक और मानव कल्याण की परंपरा है। उन्होंने देश में विभाजन और भ्रम फैलाने वाली शक्तियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा बताते हुये समाज की सक्रिय भूमिका को आवश्यक बताया।
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा केवल सेना की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि जागरूक और जिम्मेदार नागरिक भी इसकी मजबूत कड़ी हैं।सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों से सतर्क रहने,गलत सूचनाओं को आगे न बढ़ाने और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की लोगों से अपील किया। उन्होंने प्रबुद्ध और सक्षम वर्ग से आगे आकर समाज का नेतृत्व करने और लोगों को जोड़ने का आह्वान भी किया।उन्होंने कहा कि भारत को सैन्य,आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सशक्त बनाना होगा, ताकि कोई देश उसकी ओर टेढ़ी नजर न उठा सके। आत्मविश्वास से भरा समाज यदि विकास के पथ पर आगे बढ़ता है तो आने वाले 20 वर्ष राष्ट्र के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
क्रीड़ा भारती के खिलाड़ियों ने मलखंभ
क्रीड़ा भारती जयपुर की ओर से मलखंभ का आयोजन किया गया।इसमें बड़ी संख्या में खिलाड़ियों ने भाग लिया और पारंपरिक खेल मलखंभ में अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया।इस दौरान खिलाड़ियों ने मलखंभ पर हैरतंगेज करतब दिखाये।उन्होंने संतुलन,शक्ति और लचीलेपन का परिचय देते हुये मलखंभ पर विभिन्न प्रकार के योगासन और कठिन मुद्रायें प्रस्तुत कीं, जिन्हें देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।
कार्यक्रम में हुआ “भारतीय पर्यावरण चिंतन” पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम में ज्ञान गंगा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “ भारतीय पर्यावरण चिंतन ” का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के करकमलों द्वारा किया गया।इस पुस्तक में भारत के प्रतिष्ठित विद्वानों, चिंतकों और अनुभवी लेखकों के विचारोत्तेजक आलेख संकलित हैं।इनमें आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, श्री श्री रविशंकर, स्वामी अवधेशानंद गिरी, वेद मनीषी प्रो०दयानंद भार्गव, प्रो०बजरंग लाल गुप्त, आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, अखिल भारतीय पर्यावरण संयोजक गोपाल आर्य, प्रख्यात लेखक प्रशांत पोल सहित अनेक विद्वानों के लेख शामिल हैं, जो पुस्तक को वैचारिक गहराई और व्यावहारिक उपयोगिता प्रदान करते हैं।
पुस्तक में भारतीय परंपरा में निहित पर्यावरणीय दृष्टि को वैदिक और उपनिषदिक काल से लेकर आधुनिक एवं समकालीन संदर्भों तक विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया गया है। ग्रंथ में पर्यावरण को केवल संरक्षण या संकट के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, दर्शन और जीवन-पद्धति के अभिन्न अंग के रूप में रेखांकित किया गया है। पुस्तक के संपादक बिरेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि इस ग्रंथ का उद्देश्य केवल पर्यावरणीय समस्याओं पर चर्चा करना ही नहीं है, बल्कि भारतीय परंपरा में निहित उस दृष्टि को सामने लाना है, जिसमें प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व, संयमित उपभोग और कर्तव्य-बोध को जीवन का मूल तत्व माना गया है।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट