जयंती विशेष
पटना: पीएमसीएच से लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय और पटना विश्वविद्यालय के दरभंगा हाउस तक के निर्माण में दरभंगा राज के महाराजा कामेश्वर सिंह जी का महत्वपूर्ण योगदान है। इतने बड़े रजवाड़े के महाराजा होते हुए भी उन्होंने BHU के लिए देशभर में घूमकर चंदा मांगने में संकोच नहीं किया, यह शिक्षा को लेकर उनके आग्रह को दर्शाता है। आज से 100 वर्ष पहले शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दरभंगा महाराज द्वारा 15 लाख रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाते थे, जो आज के अरबों रुपए के समान है।
उक्त बातें प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक तेजकर झा ने कहीं। वह शुक्रवार को पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पत्रकारिता एवं जनसंचार द्वारा आयोजित महाराजा कामेश्वर सिंह जयंती समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1907 में जन्म लेने वाले और मात्र 22 वर्ष की आयु में राजगद्दी संभालने वाले महाराजा कामेश्वर सिंह ने प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भाग लेकर भारत के पक्ष को मजबूती के साथ रखा था।
देश, समाज और अपनी संस्कृति की बात को दुनिया भर में मजबूती के साथ प्रस्तुत करने के लिए मीडिया में हस्तक्षेप को महाराजा कामेश्वर सिंह महत्वपूर्ण मानते थे और इसलिए उन्होंने अपने प्रयास से न केवल हिंदी में आर्यावर्त और अंग्रेजी में इंडियन नेशन नामक दो प्रसिद्ध अखबारों का प्रकाशन शुरू कराया, बल्कि देश-विदेश के प्रसिद्ध अखबारों जैसे स्टेट्समैन, पायनियर, द हिंदू और लंदन के सबसे बड़े अखबार ‘द टाइम्स’ में भी भारी निवेश किया था। इसलिए पत्रकारिता के विद्यार्थियों और पत्रकारों के लिए कामेश्वर सिंह जी महाराज प्रेरणा के स्रोत हैं।
1911 में जब बिहार अलग प्रांत बना तो कामेश्वर सिंह जी के पिता महाराज रामेश्वर सिंह जी विधान परिषद के सदस्य चयनित हुए। उस समय वह समाज के वंचित तबके के लोगों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित रहते थे। अपने पिता की भांति ही महाराजा कामेश्वर सिंह जी भी समाज के हर वर्ग को बराबर सम्मान दिया। यही कारण है कि हिंदू के विभिन्न जातियों से लेकर मुसलमान समाज तक में उनकी खूब प्रतिष्ठा थी।
जयंती समारोह के आरंभ में स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. शिप्रा शर्मा और डॉ. संजय सागर ने मुख्य वक्ता तेजकर झा का स्वागत पौधा और पुष्पगुच्छ देकर किया। एमजेएमसी के शिक्षक डॉ. गौतम कुमार ने अपने स्वागत संबोधन के दौरान तेजकर झा का परिचय कराया। हिंदी विभाग के शिक्षक और एमजेएमसी के समन्वयक डॉ. रमेश कुमार ने मंच संचालन करते हुए एमजेएमसी की हालिया गतिविधियों की जानकारी दी। एमजेएमसी के शिक्षक प्रशांत रंजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर तेजकर झा की धर्मपत्नी अजीता झा, हिंदी विभाग के डॉ. उत्तम कुमार, बंगाली विभाग से डॉक्टर चंदन, एमजेएमसी के शिक्षक मुदस्सिर सिद्दीकी समेत हिंदी विभाग और एमजेएमसी के सभी सेमेस्टर के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।