बाल अधिकारों और बाल संरक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) और गलगोटिया यूनिवर्सिटी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस करार के तहत सी-लैब अब बाल संरक्षण क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों के लिए विशेष सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स की श्रृंखला शुरू करेगा।
सी-लैब, जो कि शिक्षा और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन का प्रमुख संस्थान है, अब गलगोटिया यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार विज्ञान, फॉरेंसिक इंटरव्यू और अपराध जांच जैसे विषयों पर संयुक्त पाठ्यक्रम विकसित और संचालित करेगा। इन कार्यक्रमों में सी-सीम (बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से जुड़ी सामग्री) तथा पॉक्सो मामलों की जांच से जुड़े विशेषज्ञ प्रशिक्षण भी शामिल होंगे।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2023) के अनुसार भारत में रोजाना बच्चों के खिलाफ 480 से अधिक अपराध दर्ज होते हैं। ऐसे में यह पहल देश में बाल संरक्षण तंत्र को सुदृढ़ बनाने में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से कानून प्रवर्तन अधिकारियों को उम्र सत्यापन, वित्तीय लेन-देन की जांच, ब्लॉकचेन विश्लेषण, मानसिक स्वास्थ्य के आयाम और ऑनलाइन अपराधों से जुड़े साक्ष्य जुटाने जैसे उन्नत कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस साझेदारी के महत्व पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की कार्यकारी निदेशक संपूर्णा बेहुरा ने कहा कि यह सहयोग अकादमिक शोध और जमीनी अनुभवों को एक साथ लाता है। उन्होंने कहा कि बदलते अपराध पैटर्न के बीच अब पारंपरिक तरीकों से काम नहीं चल सकता। तकनीक, मनोविज्ञान और कानून को समझने वाले प्रशिक्षित विशेषज्ञों की जरूरत है ताकि देश एक मजबूत बाल संरक्षण इकोसिस्टम तैयार कर सके।
समझौते पर गलगोटिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. एन.के. गौड़ और इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के ट्रस्टी रजत कुमार ने हस्ताक्षर किए। इस सहयोग के तहत साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड, बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की जांच, बाल अधिकार एवं संरक्षण, फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन और डिजिटल सुरक्षा जैसे विशेष पाठ्यक्रम विकसित किए जाएंगे। यह पहल बाल संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत पेशेवरों को उन्नत प्रशिक्षण प्रदान कर देश के भविष्य—यानी बच्चों—को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट