बिहार चुनाव के बाद राज्य के सियासी मैदान से महागठबंधन के दोनों प्रमुख चेहरे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी लोगों से दूरी बनाकर खामोश हैं। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी चुनाव परिणाम के तुरंत बाद न सिर्फ जनता का आभार जताने सीमांचल पहुंच गया, बल्कि यहां उन्होंने नई सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को सक्रिय सहयोग का प्रस्ताव देकर सबको चौंका दिया।
सीमांचल के अमौर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित धन्यवाद सभा को संबोधित करते हुए AIMIM चीफ असदुद्दीन औवेसी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि हम नीतीश कुमार सरकार को सहयोग करने के लिए तैयार हैं, बशर्तें वे सीमांचल के साथ न्याय करें।
ओवैसेी ने कहा कि पार्टी सभी पांचों विधायकों के लिए अगले 6 महीने में पार्टी के कार्यालय खोलेंगे और वे उस कार्यालय में बैठकर हफ्ते में 2 बार लोगों से बातचीत करेंगे। मैं भी हर 6 महीने में वहां जाने की कोशिश करूंगा। बिहार की नई सरकार को बधाई देता हूं और उनका सहयोग करने को तैयार हूं। चुनाव में महागठबंधन के प्रदर्शन पर AIMIM प्रमुख ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अखिलेश यादव यह कहने लगे हैं कि बिहार SIR इस जनादेश का कारण है। यह गलत है। और हम भी नहीं चाहते थे कि NDA जीते। हमने पूरी कोशिश की। आप हमें साथ लेने को तैयार नहीं थे, फिर भी हमने पूरी कोशिश की। यह बिहार की जनता का जनादेश है और हमें इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करना ही होगा।
दूसरी ओर जहां तेजस्वी यादव चुनावी हार के बाद लगातार सोशल मीडिया और मीडिया दोनों से दूरी बनाए हुए हैं। न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, न जनता के बीच कोई बड़ा दौरा। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर तो सक्रिय हैं, विशेषकर SIR मुद्दे पर, लेकिन बिहार की जमीन पर उनकी मौजूदगी न के बराबर है। चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस का ग्राउंड लेवल वर्कर नेतृत्व की तरफ देख रहा है। लेकिन राहुल गांधी ने न समीक्षा बैठक की, न राज्य में आकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया। राहुल गांधी की यह ‘डिजिटल एक्टिवनेस’ और ‘जमीन पर गैर-मौजूदगी’ कांग्रेस के संगठन को और कमजोर कर रही है। खासकर सीमांचल क्षेत्रों में जहां पार्टी के सामने अब असदुद्दीन ओवैसी जैसी पहाड़ सी चुनौती सामने खड़ी हो रही है।