महागठबंधन को चुनाव से पहले नवादा में एकसाथ दो बड़े झटके लगे। इसमें एक झटका राजद को तब लगा जब इसके रजौली के पूर्व विधायक बनवारी राम ने यहां से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी। अब वह एनडीए के पाले में चले गए हैं। महागठबंधन को दूसरा झटका हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में लगा है, जहां कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष आभा सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। दरअसल रजौली के पूर्व विधायक वनवारी राम राजद से टिकट के दावेदार थे, जबकि कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष आभा सिंह हिसुआ से कांग्रेस से टिकट की दावेदार थीं। अब वनवारी राम और आभा सिंह को टिकट नहीं मिला, तो दोनों ने पाला बदल लिया। इसका असर अब व्यापक रूप से दोनों ही सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी को देखने को मिल रहा है।
जिसने मुझे रुलाया, उसे मैं रुलाउंगा
खबर है कि रजौली से राजद टिकट नहीं मिलने के बाद नाराज होकर यहां के पूर्व विधायक वनवारी राम अब एनडीए के एलजेपी (आर) उम्मीदवार विमल राजवंशी के साथ चले गए हैं। वे उनके लिए क्षेत्र में सघन जनसंपर्क कर रहे हैं। पूर्व विधायक वनवारी राम को एनडीए के समर्थन में आने पर नवादा के सांसद विवेक ठाकुर, बीजेपी जिलाध्यक्ष अनिल मेहता समेत अनेक लोगों ने स्वागत किया है। वनवारी राम ने कहा कि राजद ने उन्हें टिकट का भरोसा दिया था। लेकिन उन्हें टिकट से वंचित कर रुलाया गया। अब मेरी बारी है…मैं अब चुनाव में राजद को रुलाऊंगा। विदित हो कि वनवारी राम की रजौली विधानसभा क्षेत्र में गहरी पकड़ रही है। खासकर महादलितों के बीच। वह रजौली का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रजौली में दो प्रमुख जातियां चौधरी और राजवंशी आमने-सामने रही हैं। वनवारी राम के राजद खेमे में रहने से राजवंशी वोट में विभाजन की आशंका थी लेकिन अब उनके एनडीए के पाले में आने से यहां अब भाजपा नीत गठबंधन बढ़त में है। दूसरी तरफ राजद में एक और बागी तथा मौजूदा विधायक प्रकाशवीर जनशक्ति जनता दल से मैदान में उतर गए हैं। इससे राजद के कोर वोटबैंक में भी बंटवारे का खतरा पैदा हो गया है।
हिसुआ में कांग्रेस को हो रहा बड़ा नुकसान
हिसुआ में पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की पूत्रवधू आभा सिंह ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है और अब वे बीजेपी उम्मीदवार अनिल सिंह के समर्थन में जनसंपर्क कर रही हैं। यहां से कांग्रेस के टिकट पर आभा सिंह की जेठानी और मौजूदा विधायक नीतू कुमारी मैदान में हैं। आभा सिंह के बीजेपी में आने पर अनिल सिंह ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया है। आभा सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी निष्ठावान कार्यकर्ता को तवज्जों नहीं देती। कांग्रेस ने ऐसे आदमी को टिकट दिया, जो खुलेआम कहती थी कि बीजेपी टिकट देगी, तो बीजेपी में चली जाऊंगी। आभा ने कहा कि वह निष्ठावान कार्यकर्ता रही हैं। छह सालों तक कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रहीं. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। हिसुआ सीट पर 1980 से दो परिवारों का कब्जा रहा है। एक तरफ पूर्व मंत्री आदित्य सिंह और उनकी पुत्रवधू और दूसरी तरफ अनिल सिंह। फरवरी 2005 में आदित्य सिंह ने बीजेपी के अनिल सिंह को हराया था, लेकिन अक्टूबर 2005 से अनिल सिंह तीन बार निर्वाचित होते रहे हैं। 2020 के चुनाव में कांग्रेस से नीतू कुमारी निर्वाचित हुईं। 2025 में फिर बीजेपी से अनिल सिंह और कांग्रेस से नीतू कुमारी आमने-सामने हैं। अब आभा की बीजेपी में इंट्री ने यहां कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। आभा सिर्फ पूर्व कांग्रेसी ही लीडर नहीं, बल्कि पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की पुत्रवधू और कांग्रेस प्रत्याशी नीतू कुमारी की देवरानी भी हैं।