बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू होने के साथ ही आज मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी जदयू को एक बड़ा झटका लगा। पूर्णिया से जदयू के पूर्व सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने जदयू से इस्तीफा देकर लालू— तेजस्वी की आरजेडी ज्वाइन करने की घोषणा कर खलबली मचा दी है। कहा जा रहा कि इससे पूर्णिया क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर जदयू को तगड़ा झटका लगेगा। पूर्व सांसद संतोष कुमार कुशवाहा आज दोपहर एक बजे पार्टी से इस्तीफा देंगे और दोपहर 3 बजे के करीब अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ पटना में राजद की सदस्यता ग्रहण करेंगे। कुशवाहा लंबे समय से जदयू में हो रही अनदेखी से नाराज थे। संतोष कुमार कुशवाहा ने जदयू छोड़ने के पीछे नेतृत्व की उपेक्षा को मुख्य कारण बताया है।
लेसी सिंह को कुशवाहा वोट छिटकने का डर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दो बार सांसद रहने के बावजूद जदयू के शीर्ष नेतृत्व द्वारा संतोष कुशवाहा को दरकिनार किया जाना ही उनके इस बड़े फैसले की वजह बना। उनके करीबियों का कहना है कि कुशवाहा राजद के टिकट पर धमदाहा विधानसभा सीट से मैदान में उतरेंगे। धमदाहा विधानसभा सीट वर्तमान में जदयू की वरिष्ठ नेत्री और राज्य सरकार में मंत्री लेसी सिंह के पास है। संतोष कुशवाहा के चुनावी मैदान में उतरने से इस सीट पर मुकाबला सीधा और बेहद कड़ा हो जाएगा। राजद का यह दांव जदयू के मजबूत किले में सेंधमारी करने की एक सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है।
राजद को धमदाहा में चाहिए मजबूत कैंडिडेट
सीमांचल में संतोष कुशवाहा को कोइरी समुदाय का एक बड़ा नेता माना जाता है। धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, यादव के साथ कोइरी समाज के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है। राजद ने संतोष कुशवाहा की नाराजगी को भुनाते हुए उन्हें टिकट का आश्वासन दिया है। इससे राजद को न सिर्फ धमदाहा सीट पर मजबूती मिलेगी, बल्कि यह निर्णय कुशवाहा वोट बैंक को अपने पाले में खींचने के लिए राजद की एक रणनीति भी है। संतोष कुशवाहा का राजनीतिक जीवन कई बार पाला बदलने वाला रहा है। पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा 2005 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2010 में उन्होंने बायसी से भाजपा टिकट पर जीत दर्ज की और विधायक बने। 2013 में वे भाजपा छोड़कर जदयू में शामिल हो गए और 2014 में जदयू टिकट पर सांसद बने। 2019 में जदयू टिकट पर पुनः सांसद बने। 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव ने उन्हें हरा दिया।