नवादा : जैन धर्मावलंबियों के आत्मशोधन का दस दिवसीय पर्वराज ‘पर्युषण’ गुरूवार से प्रारंभ हो गया। इस अवसर पर नवादा स्थित विभिन्न जैन मंदिरों में जैनियों ने दशलक्षण धर्म के प्रथम स्वरूप ‘उत्तम क्षमा धर्म’ की विशेष पूजा-अर्चना की। जिला मुख्यालय स्थित जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण स्थली श्री गुणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर जैन धर्मावलंबियों ने प्रातःकालीन बेला में सर्वपथम जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक व शांति धारा के उपरांत अष्टद्रव्य में शामिल जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप एवं फल से देव शास्त्र गुरू की पूजा की।
तत्पश्चात दशलक्षण धर्म के प्रथम स्वरूप ‘उत्तम क्षमा धर्म’ की पूरी श्रद्धा एवं भक्ति-भाव के साथ विशेष आराधना करते हुये अपने व्यावहारिक जीवन में क्षमा धर्म को अंगीकार करने का संकल्प लिया। जिनेंद्र प्रभु की मंगल आरती के साथ पर्वराज पर्युषण के प्रथम दिन के अनुष्ठान का समापन हुआ। विशेष अनुष्ठान में लक्ष्मी जैन, खुशबू जैन, श्रुति जैन व श्रेया जैन सहित अन्य जैन श्रद्धालुओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की। श्री दिगम्बर जैन मंदिर में भी जैन धर्मावलंबियों ने हर्षोल्लास के साथ पर्वराज ‘पर्युषण’ के प्रथम दिन ‘उत्तम क्षमा धर्म’ की विशेष पूजा-अर्चना की।
क्षमाशील व्यक्ति का नहीं होता कोई शत्रु:- दीपक जैन
उत्तम क्षमा धर्म जैन धर्म की दस मूल अवधारणाओं में प्रथम धर्म है। इसका मूल उद्देश्य अपने व्यावहारिक जीवन में उत्तम क्षमा धर्म को अपने व्यवहारिक जीवन में आत्मसात करने को प्रेरित करना है। ‘उत्तम क्षमा धर्म’ पर प्रकाश डालते हुये जैन समाज के प्रतिनिधि दीपक जैन ने बताया कि ‘क्षमा’ आत्मा का एक ऐसा स्वाभाविक गुण है, जिसमें व्यक्ति बिना शर्त क्षमा करने की इच्छा रखता है। वह न तो किसी भी जीव को दुःख पहुंचाता है और न ही किसी अप्रिय घटना पर क्रोध व्यक्त करता है। क्षमाशील व्यक्ति का कोई शत्रु नहीं होता। उसकी वाणी सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रहती है। दीपक जैन कहा कि जो व्यक्ति क्रोध का परित्याग करते हुये अपने जीवन में क्षमा के भाव को धारण करता है, वह व्यक्ति स्वयं के आत्मकल्याण के मार्ग को प्रशस्त करता है।
भईया जी की रिपोर्ट