बिहार में चुनाव से पहले राज्य के सियासी गलियारों में तेज हलचल है। चुनावी साल में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं। नेता और संभावित प्रत्याशी भी धड़ाधड़ पाला बदल शुरू कर चुके हैं। जहां आज मंगलवार को एनडीए के एक धड़े भाजपा में पूर्व आईपीए आनंद मिश्रा, पूर्व मंत्री नागमणि की एंट्री हुई, वहीं एनडीए के दूसरे मजबूत धड़े और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को एक बड़ा झटका लगा। खबर है कि बेगूसराय में मटिहानी के पूर्व बाहुबली विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने जदयू का दामन छोड़ दिया है। अब बोगो सिंह राजद के पाले में चले गए हैं। साथ ही बोगो सिंह का कहना है कि उनका मकसद अब सिर्फ तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनना है इसी को लेकर वह काम करेंगे।
बोगो सिंह ने बीते दिनों तेजस्वी यादव से मुलाकात भी की थी और इस दौरान उनकी प्रशंसा कर राजद से टिकट को लेकर बातचीत की थी। 2020 में बतौत जदयू कैंडिडेट लोजपा उम्मीदवार से हारने के बाद बोगो सिंह जेडीयू से नाराज थे। बोगो सिंह मटिहानी विधानसभा से चार बार के विधायक रह चुके हैं। अब उन्होंने राजद ज्वाइन कर एनडीए में खलबली मचा दी है। यदि उन्हें राजद से महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाता है तो मटिहानी सीट पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। स्थानीय लोगों के बीच यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि अगर बोगो सिंह राजद से मैदान में उतरते हैं तो मटिहानी का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।
बोगो सिंह ने वर्ष 2005 चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी और फिर उसी साल दूसरी बार हुए चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और जदयू ने बाहर से समर्थन किया था, जिसके कारण उन्हें दोबारा सफलता मिली। इसके बाद फिर 2010 और 2015 का चुनाव जदयू के टिकट पर मटिहानी विधानसभा से चुनाव जीता था। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें लोजपा उम्मीदवार राजकुमार सिंह से 333 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। 2020 के चुनाव के बाद लोजपा विधायक राजकुमार सिंह पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हो गए थे। जेडीयू में शामिल होने के बाद राजकुमार सिंह 2025 के चुनाव में भी जेडीयू के दावेदार माने जा रहे हैं, क्योंकि वह वर्तमान में जेडीयू के विधायक हैं। इस वजह से बोगो सिंह जेडीयू से नाराज चल रहे थे।