बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत 65 लाख नामों को हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगते हुए आज बुधवार को पूछा कि वह अदालत को यह बताए कि वोटर लिस्ट से पुनरीक्षण के बाद हटाए गए 65 लाख मतदाता कौन हैं? यह मामला आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन.के. सिंह की पीठ के समक्ष पेश किया गया था। इसे लेकर कोर्ट में याचिका दी गई थी जिसपर देश की शीर्ष अदालत ने सुनवाई की। अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में शनिवार 9 अगस्त तक अपना विस्तृत जवाब दाखिल करे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को करेगा
याचिका कर्ताओं की ओर से सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल में 65 लाख नाम हटाए गए हैं। लेकिन वोटर लिस्ट से इन हटाए गए नामों की कोई सूची चुनाव आयोग द्वारा अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी करते हुए आयोग ने केवल यह कहा है कि इनमें से 32 लाख लोग प्रवास कर चुके हैं, जबकि बाकी के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।
याचिका कर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से मांग की कि यह स्पष्ट किया जाए कि मतदाता सूची से आयोग द्वारा हटाए गए मतदाता कौन हैं। इनमें कितने लोग मृत हैं और कितने प्रवास कर गए हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग यह भी बताए कि हटाए गए नामें में कितने को बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) ने हटाने की सिफारिश की है। उन्होंने यह भी बताया कि केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों में BLO की सिफारिशें प्रकाशित की गई हैं, बाकी क्षेत्रों की जानकारी नहीं दी गई। इसपर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि चुनाव आयोग की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को यह जानकारी दी जानी चाहिए। आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्होंने यह जानकारी राजनीतिक दलों को दी है, जिसे अदालत के रिकॉर्ड पर रखा जाएगा। अदालत ने आयोग को निर्देश दिया कि वह यह भी बताए कि किन-किन राजनीतिक दलों को यह जानकारी दी गई है।