बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक का आज 5 अगस्त मंगलवार की दोपहर में निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से नई दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे और वहां उनका इलाज चल रहा था। 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक ने अस्पताल में ही आज दोपहर करीब 1 बजे अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि उन्हें लंबे समय से किडनी की समस्या थी। हालत, ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें 11 मई को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया, 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का, 2019 में गोवा और 2020 में मेघालय का राज्यपाल बनाया था। वे कई पार्टियों से होते हुए 2004 में भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन बीजेपी के साथ रिश्तों में खटास किसान आंदोलन के बाद शुरू हो गई। मलिक 2022 में मेघालय के गवर्नर थे और इस दौरान उन्होंने कहा था कि दिल्ली की सीमाओं पर 700 किसान मर गए…कुत्ता भी मरता है तो दर्द होता है, लेकिन किसानों के लिए संवेदना की एक चिट्ठी दिल्ली से नहीं आई।
सत्यपाल मलिक के निधन की जानकारी पूर्व राज्यपाल के X हैंडल से ही दी गई है। इसमें लिखा गया कि ‘पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहे।’ सत्यपाल मलिक बिहार में भी राज्यपाल थे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार सत्यपाल मलिक को किडनी की समस्या थी और राममनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सत्यपाल के निधन पर जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह मेरे लिए निजी क्षति है। जब संयुक्त मेरठ था तो हम लोगों की राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक साथ हुई। दोनों चौधरी चरण सिंह की अगुवाई वाले लोकदल में लंबे समय तक साथ रहे। बाद में वीपी सिंह की सरकार में हम दोनों साथ सांसद बनें। उनके जाने से पश्चिमी यूपी की बहुत मजबूत आवाज बंद हो गई। 50 साल के लंबे सियासी करियर में उन्होंने कई पार्टियां बदलीं, लेकिन हमेशा खुद को जाट समाज और किसान नेता के तौर पर ही बताते रहे। वह खुद को लोहियावादी मानते थे और अपना राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह को बताते थे।
सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे।उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। इससे पहले वे बिहार समेत चार अन्य राज्यों के भी राज्यपाल रहे। एक वक्त में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार थे और उन्हें पार्टी ने उपाध्यक्ष बनाया था। वह चार राज्यों के राज्यपाल भी रहे, लेकिन पिछले कुछ सालों में उनके रिश्ते मोदी सरकार से बिगड़ते गए। अपने आखिरी दिनों में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पुलवामा हमले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया था।