बिहार में मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (SIR) का काम तेजी से चल रहा है। चुनाव आयोग ने रिविजन के बाद बिहार में वोटर लिस्ट का पहला ड्राफ्ट जारी कर दिया है। मतदाताओं को एक महीने का समय दिया गया है ताकि वो इस दौरान इस लिस्ट में अपने नाम को लेकर किसी तरह का दावा या सुधार कराना चाहें तो वो करा सकें। SIR के पहले ड्राफ्ट को लेकर अब बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने इसे लेकर कहा है कि चुनाव आयोग के इस पहले ड्राफ्ट में तो मेरा नाम भी नहीं है। जब मैंने अपना नाम चेक करने की कोशिश की तो वहां नो रिकॉर्ड फाउंड का मैसेज आया। अब ऐसे में जब वोटर लिस्ट में मेरा ही नाम नहीं है तो मैं चुनाव कैसे लडूंगा?
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग गोदी आयोग बन गया है। समय आने पर सबका हिसाब होगा। बिहार में नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि आयोग ने 65 लाख लोगों के नाम काटे हैं, तो क्या आयोग के द्वारा इन लोगों को नोटिस दिया गया है। चुनाव आयोग ने क्या इनको समय दिया है। इस ड्राफ्ट को देखने के बाद ये साफ दिख रहा है कि आयोग टारगेटेड काम कर रहा है। हम आयोग से ये जानना चाहते हैं कि वह पारदर्शिता क्यों नहीं रख पा रहा है। मेरे साथ काम करने वाले मेरे स्टाफ के कई लोगों का नाम भी इस लिस्ट में नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए।
तेजस्वी यादव ने मांग की कि चुनाव आयोग बूथ लेवल पर डेटा दे। अभी आयोग ने ये डेटा विधानसभा क्षेत्र के आधार पर जारी किया है। जिन 65 लाख लोगों का नाम कटा है, उनका पता ही नहीं है। मैं मांग करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान लेके चुनाव आयोग से इन सब बातों का जवाब मांगे। ये तो साफ है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि उसने किस कारण से लोगों का नाम इस वोटर लिस्ट से हटाया है। नाम काटने का आधार बताए बगैर मनमाने तरीके से लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटाना पूरी तरह नाजायज है और हम इसका डटकर विरोध करेंगे।