नवादा : प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर जिले का कश्मीर कहा जाने वाला गोविंदपुर प्रखंड थाली थाना क्षेत्र स्थित ककोलत जलप्रपात के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो गयी। बुधवार की रात्रि और गुरुवार की सुबह में तेज बारिश होने के कारण अचानक जलस्तर बढ़ गया।
झारखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण झरने की जलधारा तेज हो गयी और उसमें काफी मात्रा में मलबा, गंदगी और पेड़-पत्ते बहकर आ गये। इससे झरने की पारदर्शिता और आकर्षण प्रभावित हुआ। स्थिति को देख वन विभाग ने पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ककोलत जलप्रपात को सैलानियों के लिए अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया।
गुरुवार की सुबह से ही बड़ी संख्या में पर्यटक ककोलत जलप्रपात स्नान के लिए पहुंचे, लेकिन बैरियर पर ही उन्हें रोक दिया गया। घंटों इंतजार के बाद भी मुख्य स्थल तक जाने की अनुमति नहीं मिली, जिससे आये सैलानियों में नाराजगी देखी गयी। पर्यटकों ने कहा कि गर्मी में लंबी दूरी तय करने के बाद भी झरने तक नहीं पहुंच सके। कुछ परिवार छोटे बच्चों के साथ आये थे और वे मायूस लौटते नजर आये।
सूत्रों के अनुसार, बारिश के कारण ककोलत की जलधारा में मटमैलापन आ गया है। पहाड़ी क्षेत्रों से बहकर आयी मिट्टी, पत्ते, प्लास्टिक कचरे और बालू की वजह से झरने का पानी गंदा हो गया है। कुंड परिसर में बालू और कीचड़ का जमाव हो गया है जिससे स्नान की सुविधा प्रभावित हुई है। जलप्रपात की ओर जाने वाले मार्ग में एक बड़ा पेड़ गिर गया है, जिससे आवाजाही बाधित हो गयी है।
वन विभाग की टीम अलर्ट
वन विभाग की टीम मौके पर तैनात है और हालात पर लगातार नजर रखे है। वन कर्मियों ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए झरने पर अस्थायी रूप से प्रवेश पर रोक लगायी गयी है। जलधारा में बहाव सामान्य होगा, तो मार्ग से पेड़ को हटा कर कुंड परिसर की सफाई करायी जायेगी। स्थल को दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा।
मॉनसून में इस तरह की घटनाएं यह बताती हैं कि प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर सतर्कता और मजबूत व्यवस्था की कितनी आवश्यकता होती है। बारिश के कारण होने वाले अचानक बदलावों के प्रति स्थानीय प्रशासन और पर्यटकों दोनों को सचेत रहना चाहिए। बारिश के दिनों में अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों पर मूसलाधार बारिश होने पर ककोलत परिसर में बाढ़ आ जाया करती है। ऐसे में सैलानियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
भईया जी की रिपोर्ट