भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बीती देर रात को एक बार फिर काफी बिगड गई। उन्हें देर रात में ही दिल्ली के अपोलो अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनको निगरानी में रखा है। 96 वर्ष के बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का न्यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर विनीत सूरी की देखरेख में इलाज किया जा रहा है। इससे पहले इसी वर्ष जुलाई माह में भी आडवाणी को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आडवाणी को उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पातल में भर्ती कराया गया है। उन्हें बढ़ती उम्र से पैदा हुई समस्याओं के चलते जरियाट्रिक और न्यूरो परेशानियां हो रही है। साथ ही मूत्र संबंधी दिक्कतों का भी उन्हें सामना है।
बीजेपी के अब भी सक्रिय सदस्य
1980 में भाजपा के गठन के बाद से लाल कृष्ण आडवाणी BJP के एक सांगठनिक नेता के रूप में उभरे। उसके बाद वो उप-प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। आडवाणी लंबे समय तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। अभी भी वे भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं। उन्हें इसी वर्ष 2024 की 22 अक्टूबर को BJP के तीन नेताओं विनोद तावड़े, अरुण सिंह और शोभा कंरदलाजे ने उनके घर जाकर उन्हें भाजपा का सक्रिय सदस्य बनाया था। इसी साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी को उनके घर जाकर भारत रत्न से भी सम्मानित किया था।. 2015 में आडवाणी को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
लालकृष्ण आडवाणी ने करीब तीन दशकों का संसदीय जीवन व्यतित किया है। वो भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने वाले नेताओं में शामिल रहे हैं। लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। उन्हें भारतीय जनता पार्टी का शिल्पकार भी कहा जाता है। उनके द्वारा 90 के दशक में शुरू की गई राम मंदिर रथयात्रा ने भाजपा को जन—जन की पार्टी की पहचान दिलाई। उस समय लालकृष्ण आडवाणी ने रथ पर सवार होकर देश के विभिन्न इलाकों में घूम—घूमकर अयोध्या में राम मंदिर बनाने का अभियान चलाया था। उन्हें बिहार के समस्तीपुर में तब की राज्य सरकार ने सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा के नाम पर गिरफ्तार किया था।