नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के अवैध माइंस में चाल धंसने से हुई दुर्घटना में पुलिस ने एक मजदूर का शव जंगल से बरामद किया है। शव बरामद होते ही पहली बार खबरों पर पुलिस ने मुहर लगाई है। मिली जानकारी के अनुसार महेंद्र तुरिया के माइंस पर घटना के बाद पुलिस पहुंची थी, लेकिन शव को माफियायों एवं उनके गुर्गों के द्वारा जंगल में छिपा दिया गया था और घायलों को निजी अस्पताल में इलाज करवाया जा रहा है।
पुलिस दबिश के उपरांत गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने मजदूर के शव को बरामद किया। थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने बताया कि रविवार को चाल धंसने से कुछ मजदूरों के दबने की सूचना मिली थी। सूचना के आलोक में रविवार को पुलिस बलों ने छानबीन किया था, परंतु शाम तक किसी मजदूर की शव बरामदगी नहीं हो पाई थी। थानाध्यक्ष ने बताया कि सोमवार की सुबह अपर थानाध्यक्ष अजय कुमार व एसआई दशरथ चौधरी ने एक महिला मजदूर के शव को बरामद किया है।
मृतक मजदूर की पहचान धमनी पंचायत की गिरगी गांव निवासी पति मांझी का 55 वर्षीय पुत्र बासुदेव भुइयां उर्फ सारो मांझी के रूप में हुई है। शव की बरामदगी के बाद पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया। थानाध्यक्ष ने बताया कि मृतक मजदूर अपनी पत्नी और बेटी के साथ चाल में दबा था। मृतक बासुदेव भुइयां की पत्नी कमला देवी व एक बेटी के घायल होने की सूचना मिली है, साथ ही दो अन्य गम्भीर रूप से घायल मजदूरों का इलाज किसी निजी अस्पताल में चल रहा है, जिसकी पुष्टि पुलिस नहीं कर रही है। हालांकि, दोनों घायल मजदूरों के बारे में पुलिस छानबीन कर रही है।
थानाध्यक्ष ने कहा कि वन विभाग द्वारा आवेदन दिए जाने के बाद अग्रेतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अब तक दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी खदान में अवैध रूप से उत्खनन करने वाले मजदूर की मौत हुई और कुछ लोग घायल भी हुए है। पुलिस ने शव बरामदगी बाद पोस्टमार्टम भी करवा लिया, लेकिन वन विभाग के द्वारा अबतक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है। जानकारी के अनुसार ऐसी मौत पर मजदूरों के परिजनों को खनन माफियाओं द्वारा 50 हजार से एक लाख रुपये तक देकर मामले को दबा दिया जाता है।
गौरतलब हो कि सवैयाटांड़ पंचायत की चटकरी गांव स्थित शारदा माइंस, ललकी, सेठवा, कारी, टोपा तथा टिटहिंया समेत दर्जनों खदानों में इस समय सरकारी तौर पर माइका का खनन बंद है, लेकिन इन खदानों में बिहार व झारखंड के माफियाओं द्वारा लगातार माइका खनन किया जा रहा है, जिनके द्वारा वर्चस्व को लेकर कई बार गोलीबारी समेत हत्या भी की गई है, बावजूद वन विभाग व पुलिस प्रशासन इन अभ्रक खदानों को बंद कराने में नाकाम साबित हो रही हैं। कभी-कभार वन विभाग के कर्मी अभ्रक समेत गाड़ी पकड़कर खानापूर्ति कर पल्ला झाड़ लेती हैं। लोगों का कहना है कि अगर वन विभाग के पदाधिकारी ध्यान दें, तो इस अवैध धंधे पर लगाम लगाया जा सकता है।
भईया जी की रिपोर्ट