नवादा : जिला पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लगने लगा है। किसी भी गंभीर मामले में अपने नीचे के पदाधिकारियों को बचाने के बचाने के चक्कर में इस कदर नियम कानून की धज्जियां उड़ायेगी इसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की होगी। मामला पत्रकार उत्पीड़न से जुड़ा है। जिले के अकबरपुर के पूर्व थानाध्यक्ष अजय कुमार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर वरीय पत्रकार को न केवल गिरफ्तार कर हाजत में बंद किया था बल्कि हाथ में हथकड़ी लगाकर बगैर चेहरा छिपाये खुद फोटो वायरल किया था।
मामले को जिले के पत्रकारों ने एसपी के सामने उठाया था , तब एसपी ने जांचोपरांत कार्रवाई का आश्वासन दिया था। क्या जांच हुई आजतक किसी को पता नहीं चल सका। मामले को राज्य मानवाधिकार आयोग में दायर कर न्याय की गुहार लगाई गयी। मानवाधिकार जांच प्रतिवेदन की लगातार मांग कर रही है लेकिन जांच प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। अगली सुनवाई 21/10 को निर्धारित है।
दूसरी ओर जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने सूचना के अधिकार के तहत जांच प्रतिवेदन की मांग मानवाधिकार समेत पुलिस अधीक्षक से की लेकिन जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के एवज में एक दूसरे पर टाल कर हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचने में लगा है। मामले को प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास ले जाया गया है। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि पुलिस अधीक्षक को खुद नियम कानून की जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए वह सारी करतूत कर रही है जिसकी इजाजत न्यायालय नहीं देता।
भईया जी की रिपोर्ट