शराबबंदी पर पूर्व सीएम मांझी के बाद अब नीतीश के अपने मंत्री ने ही उन्हें भारी टेंशन दे दिया है। नीतीश की पार्टी के विधायक और मंत्री रत्नेश सदा ने सीतामढ़ी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि शराबबंदी की वजह से सबसे ज्यादा गरीब और दलित जेल में बंद हैं। बिहार में शराब की होम डिलीवरी हो रही है। शराब माफिया थोड़े पैसे का लालच देकर गरीब और एससी-एसटी समुदाय के लोगों से शराब की होम डिलीवरी कराते हैं। लेकिन शराब माफिया तो बच जाते हैं, पर दलित समाज के ये गरीब लोग पकड़े जाते हैं। इससे उनमें दारूबंदी को लेकर बड़ा आक्रोश पनप रहा है। यह विधानसभा चुनाव में जदयू के लिए घातक हो सकता है।
जानें रत्नेश सदा ने क्या-क्या कहा
दरअसल मंत्री रत्नेश सदा सीतामढ़ी में आयोजित शराबबंदी जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नशे से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं गरीब गुरबा। इससे मुक्त होना जरूरी है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) समुदाय के अशिक्षित, गरीब और निसहाय लोगों को शराब माफिया थोड़े पैसे का लालच देकर शराब की होम डिलीवरी कराते हैं।
मांझी पहले ही उठा चुके आवाज
ऐसे में शराबबंदी पर फिर से विचार किये जाने की जरूरत है। मंत्री रत्नेश सदा से पहले हम के संस्थापक अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शराबबंदी को बेकार बताते हुए इसे वापस लिये जाने की मांग उठाई थी। मांझी ने कहा था कि प्रदेश में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी और यहां तक कि बड़े लोग भी शराब पी रहे हैं। होम डिलीवरी हो रहा है। मेरे कहने का मतलब शराबबंदी को लेकर सरकार पर निशाना साधना नहीं, बस एक सुझाव सरीखा है। हम नीतीश कुमार के मित्र, उनके साथी हैं, इसलिए कहना चाहते हैं कि जो बात गलत है, उसका परिमार्जन कीजिए।
चिराग ने भी मिलाया सुर में सुर
मांझी ने कहा कि शराब नहीं पीने वाले को नहीं पकड़ा जाना चाहिए। लेकिन आज क्या हो रहा है। जो नहीं पीते उनको भी पकड़ रहे हैं। आज स्थिति है कि बड़े-बड़े अधिकारी शराब का सेवन करते हैं। लेकिन जेल में कौन बंद है? पता कर लें मजदूर और गरीब दलित या पिछड़ी जाति के लोगों को जेल भेजा जा रहा है। कोई भी बड़ा शराब तस्कर नहीं पकड़ा जा रहा है। मेहनत और मजदूरी करने वाले मजदूर गिरफ्तार किए जाते हैं। मांझी की तरह ही लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी शराबबंदी से जान छुड़ाने की बात कही है।