नवादा : कहते हैं सच्चाई छुपाये नहीं छुपती। फिर जब आरटीआई का हथियार हो तो कहना ही क्या! ऐसे ही एक मामले में आरटीआई की गुगली में एक बार फिर रजौली एसडीओ क्लीन बोल्ड हुये हैं। आखिरकार मेसकौर प्रखंड में फर्जी श्रमिक सहयोग समिति के नाम पर चलाये जा रहे पीडीएस अनुज्ञप्ति को रद्द करने पर विवश होना पड़ा। इससे संबंधित पत्र उच्चाधिकारियों समेत तमाम संबंधित पदाधिकारियों को निर्गत किये गये हैं।
वैसे ज्ञापांक 177 गोप. दिनांक 06/09/2024 में वर्णित आदेश में अब भी कई अनुत्तरित प्रश्न है। मसलन अनुज्ञप्ति संख्या 341/2017 को संचालन की अनुमति निशा कुमारी को किस आधार पर दिया गया? फिर सारी अनियमितता की पुष्टि के बावजूद संबंधित संचालक के विरुद्ध प्राथमिकी क्यों नहीं? श्रमिक सहयोग समिति वैध या अबैध इसकी जांच क्यों नहीं? वैसे बता दें इसी प्रकार के एक मामले में रजौली एसडीओ पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है।
बहरहाल मामला चाहे जो हो जब अनुज्ञप्ति रद्द किया गया तो मीडिया से अबतक साझा करने से क्यों कतराते रहे एसडीओ? जाहिर है उक्त मामले को भैया जी द्वारा एक नहीं कई बार प्रकाश में लाने तथा आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चील द्वारा सूचना मांगने का प्रतिफल अनुज्ञप्ति का रद्द होना है। वैसे अभी कई मामले अभी शेष हैं जिसपर कार्रवाई किया जाना है। आखिर बकरे की मांग कब तक सलामती की दुआ मांगती रहेगी।
भईया जी की रिपोर्ट