केंद्र सरकार ने बजट से ठीक पहले आंध्र प्रदेश में तेल रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल हब स्थापित करने के लिए 60 हजार करोड़ के निवेश की सहयोगी टीडीपी की मांग को मंजूरी दे दी है। अब सबकी निगाहें बिहार को केंद्र से मिलने वाले ईनाम पर हैं क्योंकि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू का भी केंद्र की नई सरकार के गठन में अहम किरदार है। ऐसे में अनुमानित है कि बजट में बिहार को लेकर बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं। इसे लेकर जदयू की तरफ से भी साफ कहा गया है कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं तो कम से कम विशेष पैकेज तो मिलना ही चाहिए।
क्या है मोदी 3.0 में बिहार की डिमांड
बिहार के मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी जदयू का कहना है कि चूंकि राज्य के संसाधन बहुत सीमित हैं इसलिए इसे विशेष दर्जा मिलना चाहिए। अगर विशेष दर्जा देने में कोई दिक्कत है तो राज्य को विशेष पैकेज ही मिल जाए तब भी हम विकास में देश के अन्य राज्यों की तरह कदम से कदम मिला लेंगे। सूत्रों से जो उम्मीद मोदी 3.0 सरकार से नीतीश कुमार और जदयू कर रही है उनमें बिहार में 9 नए हवाई अड्डे, 4 नई मोट्रो लाइन प्रोजेक्ट, 7 नए मेडिकल कॉलेज और 200 अरब की लागत से एक नया थर्मल पॉवर प्लांट की मांग शामिल है। इसके अलावा करीब 20 हजार किमी की सड़कों की मरम्मत का अलग पैकेज की भी डिमांड है।
जदयू को केंद्रीय बजट से बड़ी उम्मीद
जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी तथा विजय चौधरी ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा अगर नहीं मिलता है तो हमें कम से कम विशेष पैकेज मिलना ही चाहिए। इस बजट सत्र से हमें बहुत उम्मीद है। इसमें विशेष पैकेज या विशेष राज्य के दर्जे की मांग हमलोग जरूर करेंगे। विशेष राज्य का दर्जा पैकेज की तरह ही रहता है। राज्य का जो कंट्रीब्यूशन पहले 10 प्रतिशत का होता था और 90 प्रतिशत भारत सरकार देती थी, अब वह 50-50 हो चुका है। ऐसे में भारत सरकार फार्मूला तय करे कि इसमें हमारा योगदान घटे और केंद्र सरकार का बढ़े।