Kishanganj: बिहार में शराबबंदी लागू हुए करीब-करीब 9 साल हो गया है। इस कानून को सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी जिस विभाग को है वहां के अधिकारी ही इस कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं या यूं कहे कि शराबबंदी की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हम बात किशनगंज की कर रहे हैं जहां उत्पाद विभाग के ट्रेजरी अफसर नरेंद्र कुमार को शराब के नशे में आवास से गिरफ्तार किया गया और जब ब्रेथ एनालाइजर से जांच की गई तब शराब पीने की पुष्टि हुई। जिसके बाद उत्पाद विभाग के ट्रेजरी अफसर को बिना हथकड़ी लगाये कोर्ट लाया गया और गिरफ्तारी के बाद कोषागार पदाधिकारी को वीआईपी की तरह ट्रीट किया गया।
यह नियम कानून ट्रेजरी अफसर पर लागू नहीं होता क्या ?
जब आम लोग शराब पीते पकड़े जाते हैं तो उनकी हाथों में हथकड़ी लगायी जाती है और हथकड़ी में ही उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए लाया जाता है लेकिन शायद यह नियम कानून ट्रेजरी अफसर पर लागू नहीं होता। यही नहीं कोर्ट ले जाने के दौरान उन्हें भवन निर्माण विभाग के चेंबर में बिठाया गया। जहां नशेड़ी ट्रेजरी अफसर चेंबर में बैठकर मोबाइल पर बात करते रहे और चेम्बर के बाहर उत्पाद विभाग के कर्मी खड़े रहे जो नशेड़ी पदाधिकारी के आवाभगत में लगे हुए थे। चेम्बर में आराम फरमा रहे नशेड़ी पदाधिकारी को फिर कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया।
वीआईपी की तरह दिया गया ट्रीटमेंट
इस ख़बर के सामने आने के बाद से ये बातें कही जा रही है कि शराबबंदी क़ानून आम लोगों के लिए है बल्कि अधिकारी या खास लोगों के लिए नहीं।गिरफ्तारी के बाद कोषागार पदाधिकारी को वीआईपी की तरह जो ट्रीटमेंट दिया गया उसको देखकर तो यही लग रहा है ।
शिवम प्रेरणा की रिपोर्ट