बिहार में एक और भ्रष्ट अधिकारी पर ईओयू ने शिकंजा कसते हुए पटना से लेकर गोपालगंज तक उसके 6 ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई अवैध कमाई के आरोप में सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के विकास अधिकारी भावेश कुमार के ठिकानों पर आर्थिक अपराध इकाई ने की है। सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में कार्यरत विकास पदाधिकारी भवेश कुमार सिंह के खिलाफ कई दिनों से गोपनीय जांच चल रही थी। जांच में ईओयू ने पाया कि बैंक अधिकारी की घोषित आय और वास्तविक संपत्ति में 60.68 फीसदी का भारी अंतर मौजूद है, जो भ्रष्टाचार की गंभीर आशंका को मजबूत करता है। इसी आधार पर पटना और गोपालगंज स्थित उनके छह ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की गई। छापेमारी की अगुवाई ईओयू में डीएसपी रैंक के अधिकारी कर रहे हैं।
पटना से गोपालगंज तक छापेमारी
सुबह से शुरू हुई यह कार्रवाई अभी भी दोपहर तक लगातार जारी है और टीम आय, संपत्ति, निवेश और संदिग्ध लेन-देन से जुड़े तमाम दस्तावेजों को खंगाल रही है। छापेमारी में बैंक अधिकारी के बचत खाते, जमीनों के कागजात, फ्लैट के पेपर्स, लॉकर से जुड़े रिकॉर्ड और पिछले कुछ वर्षों में किए गए बड़े वित्तीय ट्रांजैक्शंस पर विशेष फोकस किया जा रहा है। शुरुआती जांच में ही ईओयू को कई ऐसे सुराग मिले हैं जिनसे अवैध संपत्ति अर्जन के आरोप और मजबूत होते दिख रहे हैं। यह भी संभावना जताई जा रही है कि कुछ बैंकिंग लेन-देन ऐसे भी किये गए हैं जिनकी अलग से फोरेंसिक जांच की जरूरत पड़ सकती है।
आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने छापेमारी की इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रारंभिक स्तर पर जो तथ्य सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं। उन्होंने बताया कि बैंक अधिकारी की घोषित आय और उनके द्वारा हासिल की गई संपत्ति में भारी अंतर पाया गया है। इसलिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अवैध अर्जन की विभिन्न धाराओं में आर्थिक अपराध इकाई द्वारा तत्काल छापा डाला गया। एडीजी नैयर हसनैन खान ने यह भी इशारा किया कि जैसे-जैसे छापेमारी आगे बढ़ेगी, इस मामले में कई नए पहलू उजागर हो सकते हैं जो विभागीय सिस्टम में व्याप्त अनियमितताओं की ओर संकेत करेंगे।