नवादा : जिला पदाधिकारी की सज्जनता का अनुचित लाभ अधिनस्थ अधिकारियों द्वारा जमकर उठाया जा रहा है। हालात यह है कि डीएम की नेकनामी के बजाय बदनामी हो रही है तो आम लोगों में उनकी छवि खराब हो रही है। इस प्रकार के एक नहीं कई ऐसे मामले का पर्दाफाश ” भैया जी” द्वारा प्रमाण के साथ किया जाता रहा है।
ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। गंभीर वित्तीय अनियमितता के मामले में हटाए गए तकनीकी सहायक के विरुद्ध जांच हुई नहीं कि पुनः उसी प्रखंड में पदस्थापित कर दिया गया। अब जब पदस्थापित कर दिया गया तो जाहिर है विरोध तो होगा ही सो जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने मुख्य सचिव को आवेदन देकर मामले की जांच कर संबंधित दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। आश्चर्य तो यह कि उक्त जांच से डीएम समेत जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को अलग रखने का अनुरोध किया है।
क्या है मामला
रजौली प्रखंड में जल जीवन हरियाली के तहत तकनीकी सहायक के पद पर शंकर यादव पदस्थापित थे। अपने कार्यालय में कुआं निर्माण व मरम्मती से लेकर पंचायत सरकार भवन निर्माण में गंभीर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा था। तब उन्हें वहां से हटाकर गोविंदपुर भेजा गया था। जिला पंचायत राज पदाधिकारी द्वारा कराए गए जांच में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि होने पर ज्ञापांक 849 पंचायत दिनांक 10/08/24 के द्वारा गोविंदपुर बीडीओ को वहां से विरमित करने का आदेश दिया था। उक्त पत्र के आलोक में बीडीओ ने ज्ञापांक 549 दिनांक 10/07/24 को डीपीआरसी के लिए विरमित कर दिया।
नियमत: बगैर दोषमुक्त हुए किसी को खासकर जहां आरोप लगा हो पुनः पदस्थापित नहीं किया जा सकता, लेकिन जिला पंचायत राज पदाधिकारी ने ज्ञापांक 512 पंचायत दिनांक 03/03/25 को पुनः न केवल रजौली में पदस्थापित कर दिया बल्कि गोविंदपुर का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया। ऐसे में सवाल पूछा जाने लगा:- क्या यह न्यायोचित है? अगर नहीं तो ऐसा क्यों? फिर इन सारे मामलों में डीएम की चुप्पी क्यों? ऐसे में मामला मुख्य सचिव के पास ले जाया गया है। वहां से अग्रेत्तर कार्रवाई का इंतजार है।
भईया जी की रिपोर्ट