नवादा : नवादा विधानसभा क्षेत्र का चुनावी परिदृश्य इस बार बेहद रोचक हो है। मुकाबला त्रचतुष्कोणीय होने के आसार नजर आ रहे हैं। लेकिन इसे त्रिकोणीय बनाने का प्रयास जारी है। इन सबों के बीच एनडीए व जनसुराज इसे आमने सामने का मुकाबला बनाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।शतरंज के विसात में शह मात का खेल वैसे मतदाता खेल रहे हैं जिन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पूर्व विधायक एनडीए प्रत्याशी विभा देवी मैदान मार ले तो कोई आश्चर्य नहीं।
चुनावी मैदान में कुल 12 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सभी के भविष्य का निर्धारण 73568 युवा मतदाता करेंगे। हालांकि नवादा विधानसभा क्षेत्र में 189096 पुरुष और 174203 महिला तथा 02 थर्ड जेंडर मतदाताओं की भागीदारी होगी। इनमें 18 से 19 वर्ष के 5437 मतदाता तथा 20 से 29 वर्ष के 68131 मतदाता मुख्य रूप से प्रभावी और निर्णायक साबित होंगे। इनमें 85 वर्ष से अधिक आयु वाले 2461 मतदाता, 3301 दिव्यांग मतदाता तथा 886 नौकरीशुदा मतदाता शामिल हैं। इनके अलावा जो शेष मतदाता हैं, वे चुनावी परिदृश्य को प्रभावित तो कर सकते हैं, लेकिन युवा मतदाताओं के हाथों में कहीं न कहीं अगले विधायक को चुनने की कमान होगी।
नवादा विधानसभा क्षेत्र में 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला जनता दल (यूनाइटेड) की विभा देवी , राजद के कौशल यादव और जनसुराज पार्टी के डॉ. अनुज सिंह के बीच होने की प्रबल संभावना है। मुकाबला न सिर्फ दो प्रमुख गठबंधनों की ताकत को परखेगा, बल्कि एक मजबूत तीसरे कोण यानी जन सुराज की एंट्री से भी समीकरण उलझेंगे।
कौशल यादव पारंपरिक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण, राजद का मजबूत जनाधार तथा एंटी-इनकम्बेंसी का माहौल बना कर अपनी चुनावी नैया पार करने की जुगत में हैं। उनके पास व्यक्तिगत जनाधार है। एनडीएनीत जदयू की प्रत्याशी विभा देवी एनडीए के आधार वोट विशेषत: महिला मतदाताओं समेत युवाओं के रूझान के अलावा पति राजबल्लभ प्रसाद के प्रभाव का लाभ उठा कर 2020 में मिली जीत को दोहराने के प्रयास में एड़ी चोटी एक कर रही है । जातिगत गोलबंदी अपने पक्ष में करने में माहिर पूर्व मंत्री राजवल्लभ यादव एड़ी चोटी का पसीना बहा रहे हैं। साथ दे रहे हैं विधानपरिषद अशोक यादव।
जनसुराज पार्टी के डॉ. अनुज सिंह शिक्षित और युवा मतदाताओं में अपील, स्थानीय मुद्दों पर फोकस और पारम्परिक राजनीति से हताश वर्ग के भरोसे मुकाबले को दिलचस्प बनाते हुए चुनावी वैतरणी पार करने में शिद्दत से लगे हैं। जन सुराज एक गैर-पारंपरिक दल है, जिसकी नीति के बूते जातिगत राजनीति से हताश और बदलाव की चाह रखने वाले मतदाताओं को वे आकर्षित करने में जुटे हैं। दूसरी ओर एआइएमआइएम के नसीमा खातून अल्पसंख्यक समुदाय का मतहरण के साथ अति पिछड़ा मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
शेष अन्य आठ प्रत्याशियों को भी परख रहे हैं मतदाता
बहुजन समाज पार्टी के अशोक कुमार, इंडियन नेशनल सोशलिस्टिक एक्शन फोर्सेस के सुभाष सिंह जैसे उम्मीदवार मुख्य मुकाबला नहीं बना रहे हैं, लेकिन ये कुछ हजार वोट काटकर मुख्य प्रत्याशियों के जीत-हार के अंतर को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से मुस्लिम वोटों में नसीमा खातून की थोड़ी सी भी सेंधमारी परेशानी खड़ी कर सकती है।
इनके अलावा अन्य पांच निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं। जीतेंद्र प्रसाद, प्रेम कुमार, मनोज कुमार, रविश कुमार तथा विभा कुमारी स्थानीय मुद्दों अथवा अपने व्यक्तिगत प्रभाव के कारण अपने-अपने वोट बैंक से कुछ मत खींच सकते हैं, जो चतुष्कोणीय मुकाबले में अंतिम परिणाम को और भी अप्रत्याशित बना सकते हैं।
महिला मतदाता भी मुकाबले को बनाएंगी निर्णायक
नवादा विधानसभा क्षेत्र में महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकता है। हालांकि आधी आबादी के प्रभाव से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
महिला मतदाता भी इस मुकाबले में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। जदयू की विभा देवी, एक महिला प्रत्याशी होने के नाते आधी आबादी के समर्थन को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही हैं। वहीं राजद के कौशल यादव और जन सुराज के डॉ. अनुज सिंह के लिए भी महिला-केंद्रित योजनाएं और अपील वोटों को प्रभावित कर सकती हैं। पुरुष मतदाताओं की बहुलता जरूर है, जो पारम्परिक रूप से जाति और राजनीतिक निष्ठा के आधार पर मतदान करते रहे हैं।
राजद का एम-वाई समीकरण, जदयू का कोर वोट बैंक और जन सुराज का युवा-केंद्रित वोट बैंक, मुख्य रूप से पुरुष मतदाताओं के बीच ही खींचतान करेगा। थर्ड जेंडर भले ही इनकी संख्या कम है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया में इनकी भागीदारी समावेशी राजनीति का प्रतीक है।
प्रथम चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है और द्वितीय चरण के चुनाव में चंद दिनों का फासला रह गया है। ऐसे में उड़नखटोला के आने जाने का सिलसिला तेज हो गया है तो रैलियों व रोड शो के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने का सिलसिला जारी है। लेकिन अंतिम निर्णय तो मतदाताओं को करना है जो अभी अपना पत्ता खोलने से परहेज़ कर रहे हैं। बहरहाल एनडीए महिला मतदाताओं के बल पर हवा को अपने पक्ष में लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
भईया जी की रिपोर्ट