नवादा : जिले की चर्चित महिला चिकित्सक अरुंधती के नाती पुष्पांशु उर्फ अंकुश की शनिवार को हुई हत्या या आत्महत्या मामले पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। पुलिस द्वारा आत्महत्या का मामला बता पल्ला झाड़ने वाले बयान पर किसी को यकीन नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर वारिसलीगंज से इलाज के बहाने बुलाकर झौर गांव के ग्रामीण चिकित्सक प्रकाश कुमार की नालन्दा में की गयी हत्या मामले में पुलिस के हाथ अब भी खाली है। अब सबसे बड़ा सवाल जब अंकुश मामले का उद्भेदन का दावा पुलिस कर रही तब फिर प्रकाश मामले में चुप्पी क्यों?
वैसे एसपी अभिनव धीमान का जिले में अबतक का कार्यकाल अच्छा नहीं माना जा रहा है। जिले में कानून का राज नहीं बल्कि अपराधियों व शराब माफियाओं का राज चल रहा है। चोरी, हत्या, बलात्कार, छिनतई, वाहन चोरी, अवैध शराब की खरीद -बिक्री चरम पर है। कारण स्पष्ट है किसी से विचार-विमर्श के बजाय थानेदारों की बातों पर विश्वास। ऐसे में अपराध व अपराधियों पर अंकुश लग भी पायेगा इसकी दूर दूर तक संभावना दिखाई नहीं देती। जहां तक वर्तमान सरकार की बात है तो हर किसी के जुवान पर एक ही बात है सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी है।
यही कारण है कि पदाधिकारी से लेकर कर्मचारी तक वर्तमान सरकार पहली पसंद है। खैर छोड़िए इन बातों को आते हैं असली मुद्दे पर। अंकुश ने आत्महत्या की ऐसा दावा बिल्कुल बेवुनियाद है। ऐसा इसलिए कि जहां हत्या हुई वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है। आसपास लगे कैमरे की जानकारी हत्यारे को नहीं है ऐसा दावा नहीं किया जा सकता। फिर सुसाइड नोट पर आंख बंद कर विश्वास कर लेना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।
ऐसा भी हो सकता है गले पर ग्राइंडर मशीन रखकर डायरी में सुसाइड नोट लिखा हत्या की गयी हो? क्योंकि कोई डायरी में सुसाइड नोट नहीं लिखता। हां! किसी सादे पन्ने में सुसाइड नोट लिखकर अपनी जेब या आसपास अवश्य छोड़ दिया करता था। फिर घर में कोई तनाव नहीं, किसी ने डांट फटकार नहीं, खुद पढ़ा लिखा, अपने पिता का एकलौता अविवाहित संतान खुदकुशी क्यों करेगा? यह सवाल पुलिस से पूछा जाने लगा है। अंकुश हत्या मामले में इतनी जल्दी तो फिर प्रकाश हत्या मामले का सात दिन बाद भी खुलासा क्यों नहीं? सवाल तो बनता है, जिसका जवाब पुलिस से हर किसी को है और रहेगा ।
भईया जी की रिपोर्ट