नवादा : जिले में आपराधिक कांडों की फारेंसिक जांच की सुविधा शीघ्र ही उपलब्ध होगी। इसके लिए जिला मुख्यालय में एक फारेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) खोला जाएगा। इसके साथ ही फारेंसिक मोबाइल वैन तैनात की जाएगी। फारेंसिक साइंस लैब खोले जाने से पुलिस को कांडों के अनुसंधान में मदद मिलेगी। साथ ही कांडों के निष्पादन में भी तेजी आएगी जिससे लंबित कांडों का बोझ कम होगा।
वर्तमान में फारेंसिक जांच के लिए राजगीर फारेंसिक मोबाइल टीम की मदद लेनी पड़ती है। नये कानून में फारेंसिक जांच की बढ़ी उपयोगिता के कारण जिला पुलिस की काफी फजीहत होती है और फारेंसिक जांच के लिए दूसरी जगहों पर निर्भर रहना पड़ता है। वर्तमान में पटना के अलावा भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, गया व राजगीर में फारेंसिक साइंस लैब कार्यरत हैं। बता दें कि नया कानून लागू होने के बाद से सात वर्ष अथवा उससे अधिक सजा वाले मामलों में घटनास्थल पर फारेंसिक टीम अथवा वैन की मदद से जांच करने की अनिवार्यता लागू कर दी गयी है।
नवम्बर तक वैन मिलने की संभावना
राज्य में 13 फारेंसिक मोबाइल वैन वर्तमान में उपलब्ध हैं। जिन्हें 13 जिलों में उपलब्ध कराया गया है। ये वैसे जिले हैं, जहां अधिक मामले दर्ज होते हैं अथवा अधिक आपराधिक घटनाएं होती हैं। राज्यस्तर पर 34 वैन की खरीदगी की प्रक्रिया चल रही है। इसके अगले माह अक्टूबर तक इसके पूरा हो जाने की संभावना है। उम्मीद है कि नवम्बर तक जिले को फारेंसिक मोबाइल वैन मिल सकेगा जिसे फारेंसिक कार्यालय में तैनात किया जाएगा। घटना की सूचना पर फारेंसिक टीम व वैन दोनों एक साथ घटनास्थल पर जाएंगे और प्रदर्श संकलित करेंगे। इससे अनुसंधान व जांच की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त है वैन
फारेंसिक मोबाइल वैन में विभिन्न प्रकार के अत्याधुनिक जांच उपकरण उपलब्ध होते हैं। इसमें फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, नारकोटिक्स, ब्लड व सीमेन सैंपल तथा अन्य जैविक प्रदर्शों को संकलित करने के लिए किट उपलब्ध होते हैं। वैन के भीतर हाई रिज्योलूशन वाले कैमरे व तेज प्रकाश की सुविधा होती है। जिसके कारण घटनास्थल पर अंधेरे में प्रदर्शों की जांच में काफी सुविधा होती है। कैमरे से वीडियोग्राफी में भी मदद मिलती है। जिससे साक्ष्य संकलित करने में काफी सहूलियत मिलती है।
फारेंसिक एक्सपर्ट हैं जिले में उपलब्ध
01 जुलाई-2024 से नया कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद जिले में वरीय वैज्ञानिक सहायक (एसएसए) के रूप में एक फारेंसिक एक्सपर्ट की नियुक्ति की गयी है। सात वर्ष अथवा उससे अधिक सजा वाले सभी मामलों में उनकी सेवाएं फिलहाल जिला पुलिस द्वारा ली जा रही है। जिससे जिला पुलिस को कांडों के अनुसंधान व निष्पादन में अपेक्षाकृत सहयोग मिल रहा है। 01 जुलाई से थानों में दर्ज होने वाले शत-प्रतिशत संबंधित मामलों में फारेंसिक जांच की मदद ली जा रही हहै।
एफएसएल का कार्यालय जिला में खोले जाने संबंधी निर्देश मुख्यालय से प्राप्त हुआ है। इसके खुलने से जिला पुलिस को काफी सहूलियत होगी। कांडों के अनुसंधान और निष्पादन में काफी मदद मिलेगी। वर्तमान में फारेंसिक जांच व रिपोर्ट के लिए राजगीर व पटना लैब पर निर्भर होना पड़ता है। जिससे मामला काफी दिनों तक लंबित रहता है।