नवादा : आत्मशोधन का महापर्व पर्युषण के पांचवें दिन जैन धर्मावलंबियों ने पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ दशलक्षण धर्म के पंचम स्वरूप उत्तम सत्य धर्म की विशेष पूजा-अर्चना की एवं सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। सोमवार को आयोजित धर्मिक अनुष्ठान के दौरान जैनियों ने भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि नवादा स्थित गुणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर प्रातःकालीन बेला में जिनेंद्र प्रभु का पूरे भक्तिभाव के साथ पंचामृत अभिषेक एवं शांति धारा कर विश्वशांति एवं सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की मंगलकामना की।
दैनिक स्तर पर होने वाले पूजा-अर्चना के क्रम में श्रद्धालुओं ने देव शास्त्र गुरू पूजन व चौबीसी पूजन आदि किया। इसके उपरांत दशलक्षण धर्म पूजन के साथ ही उत्तम सत्य धर्म की विशेष आराधना करते हुये अपने व्यवहारिक जीवन में सत्य धर्म के अनुपालन का संकल्प लिया। विशेष धार्मिक अनुष्ठान में जैन समाज से जुड़े लोगों में शामिल लक्ष्मी जैन, खुशबू जैन, अभिषेक जैन, श्रुति जैन, श्रेया जैन सहित कई अन्य सामाजिक प्रतिनिधिगण शामिल हुये।
-सत्य पथिक को होती है आत्मिक सुख व वैभव की प्राप्ति – दीपक जैन
उत्तम सत्य धर्म दशलक्षण धर्म की पंचम अवधारणा है। उत्तम सत्य धर्म पर प्रकाश डालते हुये जैन समाज के प्रतिनिधि दीपक जैन ने बताया कि सत्य धर्म का अर्थ केवल सच बोलना ही नहीं, बल्कि सत्य का अनुभव करते हुये उस अनुभव को अपने व्यवहार, वाणी और भावना में समाहित करना है। यह जीवन का स्वभाव एवं हर प्राणी का ऐसा आंतरिक गुण है, जो सभी के लिए करुणा, न्याय व ईमानदारी के मार्ग को प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि छल-कपट, अंधभक्ति एवं व्यर्थ की हिंसात्मक गतिविधियों से परे रहकर सच कहते समय सभी के प्रति अंतःकरण से प्रेम व सद्भाव रखना ही उत्तम सत्य धर्म है। दीपक जैन ने कहा कि सत्य पथिक को आत्मिक व मानसिक सुख के साथ ही गौरव व वैभव की प्राप्ति होती है।
भईया जी की रिपोर्ट