नवादा। उत्तम आर्जव धर्म से जुड़े तथ्यों पर प्रकाश डालते हुये जैन समाज के प्रतिनिधि दीपक जैन ने बताया कि जैन धर्मानुसार उत्तम आर्जव धर्म का आशय मन, वचन एवं कर्म में सरलता एवं निष्कपटता से है। यह हमें सिखाता है कि हमारे विचार, वाणी एवं कार्य में कोई भी छल-कपट या दिखावा न हो। मन में कुछ और, वचन में कुछ और एवं कार्य में कुछ और का होना मायाचारिता कहलाती है।
उन्होंने कहा कि उत्तम आर्जव धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति छल-कपट से मुक्त रहता है, जिससे उसके भीतर विश्वास, निष्कपटता, मैत्री, शांति, पारदर्शिता एवं अध्यात्मिकता की भावना का संचार होता है अर्थात यह धर्म बाह्याडम्बर को प्रतिबंधित कर मानव जीवन में आंतरिक शुद्धता के मार्ग को प्रशस्त करता है। दीपक जैन ने कहा कि जब व्यक्ति मन, वचन एवं काय से एक समान हो जाता है, तो उस पर विश्वास करना आसान हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन को शांति, पवित्रता व सामंजस्य की अनुभूति प्राप्त होती है।
भईया जी की रिपोर्ट